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विकास की दौड़ में खो गया बच्चों का बचपन

आजमगढ़ रंगकर्म के लिए प्रतिबद्ध सूत्रधार संस्थान की ओर से बच्चो में रंग संस्कार का बीजारोपण करने के लिए चिल्ड्रेन थिएटर वर्कशॉप का आयोजन शारदा टाकीज के प्रांगण में किया गया था। 25 मई से चल रहे इस वर्कशॉप में बच्चे रंगमंच की विभिन्न पहलुओं से परिचित हुए। समापन पर 20 जून की संध्या को अभिषेक पंडित कृत एवं ममता पंडित द्वारा निर्देशित Þअच्छे दिन आएंगे नाटक का मंचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 06:23 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 06:23 PM (IST)
विकास की दौड़ में खो गया बच्चों का बचपन
विकास की दौड़ में खो गया बच्चों का बचपन

जागरण संवाददाता, आजमगढ़: रंगकर्म के लिए प्रतिबद्ध सूत्रधार संस्थान की ओर से बच्चो में रंग संस्कार का बीजारोपण करने के लिए चिल्ड्रेन थिएटर वर्कशॉप का आयोजन शारदा टाकीज के प्रांगण में किया गया था। 25 मई से चल रहे इस वर्कशॉप में बच्चे रंगमंच की विभिन्न पहलुओं से परिचित हुए। गुरुवार को समापन की संध्या पर अभिषेक पंडित कृत एवं ममता पंडित द्वारा निर्देशित अच्छे दिन आएंगे' नाटक का मंचन किया गया। 

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नाटक की कथा कठपुतलियों के बातचीत से शुरू होती है। बच्चों के जिद पर कठपुतलियां अपना नाच दिखाती हैं और बच्चे मजाक उड़ाते है। तभी शिकारी(अंकित)आता है और बच्चों को डरावनी कहानियां और अपनी बहादुरी के किस्से सुनाता है। इसके बाद छबीला (अनादि) आता है जिसका कहानियों का पिटारा खो गया होता है। वह जादुई छाते के द्वारा परियों (अन्विषा, मायरा, आरिका, अनन्या, रिमिषा) को बुलाता है जिससे बच्चे अपनी शिकायत करते है। पूरे नाटक की बातचीत में विकास की दौड़ में बच्चों का बचपन कहीं खो सा गया है। संयुक्त परिवार की जगह एकाकी परिवार का बढ़ता चलन, गैजेट्स के अत्यधिक उपयोग ने लोगों को एकाकी बना दिया है। जिसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है। बच्चे आज परियों को भूल ही गए है। आज वे चक-चक रानी और घघ्घो रानी जैसे गीत गाते ही नहीं। दरअसल गाते भी कैसे, अब कोई बताने वाला ही नहीं है। विकास की दौड़ में हम यह भूलते जा रहे है कि हम जितनी तेजी से विकास कर रहे हैं, उतनी ही तेजी से विनाश की तरफ भी बढ़ते जा रहे है। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष डा. सीके त्यागी, हवलदार यादव, प्रेमप्रकाश राय, डा. खुशबू सिंह, डा. अलका सिंह आदि थे।

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इनकी रही प्रमुख भूमिका

नाटक अच्छे दिन आएंगे में इनकी प्रमुख भूमिका रही। इसमें चाची (रुक्मणी), चिकी (अनादि), पिकी (अदिति), बच्चा (पुलकित, ईशान, वानीश्री, तरुण, माधव, कृष्णा, विरादित्य) ने दर्शकों का मन मोह लिया। प्रस्तुति में कठपुतली कोरियोग्राफ शिखा मौर्य एवं कंचन मौर्य, डांस कोरियोग्राफ सत्यम पांडेय, सेट निर्माण अंगद कश्यप, म्यूजिक रितेश रंजन व प्रकाश-रणजीत कुमार का विशेष सहयोग रहा।

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