आजमगढ़, जागरण संवाददाता: दलालों का काकस मंडलीय जिला अस्पताल में टूट नहीं पा रहा है। सोमवार को एक दलाल जांच करवाने के नाम पर मरीज से दो हजार रुपये लेकर फुर्र हो गया। ठगी का एहसास होने पर मरीज ने हो-हल्ला मचाया, तो दलालों की करतूत उजागर हाे पाई। एसआइसी ने कार्रवाई का भरोसा दिया तो मामला शांत पड़ सका। स्वास्थ्यकर्मियों के बगैर ड्रेस में ड्यूटी करना दलालों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है।

कंधरापुर थाना अंतर्गत आजमपुर गांव निवासी प्रिंस मेल मेडिकल वार्ड में बेड नंबर 18 पर भर्ती हैं। वह सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। डाक्टर राजेश जायसवाल को सुबह दिखाए, तो उन्होंने जांच करवाने का मशविरा दिया। उनके जाने के कुछ ही देर बाद युवक पहुंचा और जांच के नाम पर ब्लड निकाला। प्रिंस से उसके लिए दो हजार रुपये लिए और इस आश्वासन के साथ गया कि रिपोर्ट थोड़ी देर में मिल जाएगी।

बाहरी व्यक्ति ने ब्लड का नमूना और रुपये लिया

दो घंटे बीत जाने पर भी रिपोर्ट नहीं आई, तो स्वजन स्टाफ ड्यूटी रुम में पहुंच अपनी रिपोर्ट के बारे में जानकारी की। वहां सभी ने अनभिज्ञता जताई। पीड़ित ने हो-हल्ला मचाया, तो पता चला कि किसी बाहरी व्यक्ति ने ब्लड का नमूना और रुपये लिया है।

जांच के लिए दोबारा देना पड़ा  ब्लड का नमूना

ऐसे में प्रिंस को दोबारा जांच के लिए ब्लड का नमूना देना पड़ा। कहा कि स्वास्थ्यकर्मी भी बगैर ड्रेस में रहते हैं, ऐसे में असली-नकली में अंतर नहीं कर पाया, जबकि स्वास्थ्यकर्मियाें को नियमत: ड्रेस में ड्यूटी करनी चाहिए। जिलाधिकारी रहे अमृत त्रिपाठी ने ड्रेस कोड को लागू करा दिया था, जिसके बाद से दलालों की एंट्री पर काफी हद तक अंकुश लगा था।

इनका कहना है

शिकायत मिली है। अंकुश को सख्ती की जाएगी। मरीज और तीमारदार को भी चाहिए कि किसी भी जांच व दवा के लिए ड्यूटी रुम में तैनात कर्मचारियों से सलाह के बाद ही कोई कदम उठाएं। -डा. अनूप कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक।

Edited By: MOHAMMAD AQIB KHAN