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180 साल से ताजिया जुलूस निकाल रही डोरवा की चौहान बस्ती

विकास ओझा, आजमगढ़ ---------------- 'कोई बोलता है, तुम ¨हदू बन जाओ। कोई बोलता है, तुम

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 12:02 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 12:02 AM (IST)
180 साल से ताजिया जुलूस निकाल रही डोरवा की चौहान बस्ती
180 साल से ताजिया जुलूस निकाल रही डोरवा की चौहान बस्ती

विकास ओझा, आजमगढ़

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'कोई बोलता है, तुम ¨हदू बन जाओ। कोई बोलता है, तुम मुसलमान बन जाओ। मगर सच तो यह है कि कुछ ऐसा कर जाओ ¨जदगी में कि हर मजहब की तुम पहचान बन जाओ' कुछ ऐसी ही दास्तान सगड़ी तहसील क्षेत्र के डोरवा ग्रामसभा की चौहान बस्ती की है। ¨हदू-मुस्लिम एकता का इससे बड़ी कोई मिसाल देखने को नहीं मिलेगी। यहां इमामबाड़ा में ताजिया बनाकर मोहर्रम मनाते हैं। विधिपूर्वक सातवीं व दसवीं को जुलूस भी निकालते हैं।

नेकी की यह परंपरा वह वर्षो से मनाते आ रहे हैं। बहरहाल, युवा पीढ़ी को तो याद नहीं कि यह परंपरा कब से चली आ रही है, लेकिन बुजुर्गो का कहना है कि यह परंपरा 180 वर्ष से अधिक समय से जारी है। इसके पीछे वजह यह है कि 180 वर्ष पूर्व वंश न होने के दर्द को लेकर एक फकीर के बताने पर धरमू अपनी पत्नी के साथ सगड़ी इमामबाड़ा पर प्रार्थना किए। इसके उपरांत उनके चार पुत्र जालिम चौहान, शालिम चौहान, दीना चौहान, रामदीना चौहान पैदा हुए। इन्हीं के वंशज पूरे गांव में हैं। इनकी आबादी लगभग तीन हजार के आस-पास होगी। इस गांव के लोग अपने परिवार के साथ आपस में चंदा एकत्र कर पूर्वजों की परंपरा के अनुसार इमामबाड़ा में ताजिया का निर्माण करते हैं और मोहर्रम पर गुड़, रोटी, हल्की काली मिर्च का भोजन करते हैं। प्रसाद के रूप में शरबत का निर्माण करते हैं जिसमें गुड़ पानी व हल्की काली मिर्च होती है। तिल चौरी पर इमाम साहब के नाम पर चढ़ाते हैं। इसके बाद पूरे गांव में प्रसाद का वितरण करते हैं। इनकी एक अलग आस्था है। इतना ही नहीं मोहर्रम के दिन कठैचा, बोझिया, जमीन डोरवा, बल्लोसराय, बक्कसनपुर, डाडापार, झझवा, नाथ्थूपुर के ग्रामीणों की भी जुटान होती है। सभी आस्था के साथ जुलूस में शामिल होते हैं।

चांदी का कलश व सोने का झुमका आकर्षण का केंद्र

सगड़ी क्षेत्र के डोवरा चौहान बस्ती में प्रसिद्ध ताजिए की कोई सानी नहीं। चांदी का कलश व सोने के झुमके भी इसमें लगाए जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ताजिया निर्माण में पांच लाख रुपये से अधिक खर्च होता है।

ताजिया बनाने वालों को अरब से बुलावा

प्रसिद्ध इस ताजिए के निर्माणकर्ता जवाहर, बृजमोहन, बलिहारी हैं। इनके हुनर की लोग प्रशंसा करते नहीं अघाते। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि ताजिया निर्माण के लिए अरब देश के लोग भी इन्हें आमंत्रित करते हैं।


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