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लापरवाही की चिगारी से किसानों की रोटी छिनी

शासन-प्रशासन लाख दावा कर ले कि किसानों के गेहूं की फसल की क्षतिपूर्ति देकर उनकी भरपाई की जाती है लेकिन हर साल किसानों को खाली हाथ मल कर रह जाना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 06:10 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 06:10 PM (IST)
लापरवाही की चिगारी से किसानों की रोटी छिनी
लापरवाही की चिगारी से किसानों की रोटी छिनी

जयप्रकाश निषाद, आजमगढ़

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भाग्य से ही खेत का एक दाना घर के चूल्हे तक पहुंचता है। यह कहावत आजादी के पूर्व भी सच थी और आज भी। आधुनिकता की बात हम भले ही कहते रहे कितु खेती किसानी की दुनिया में आज भी यही सच है। गेहूं की फसल खेत में लगभग पककर तैयार है। उसे काटकर सिर्फ घर लाना है। मौसम अनुकूल होने की राह किसान देख रहे है। घर में खुशियां हैं। किसान भी अच्छी फसल देख कई चिताओं से मुक्त होने की जुगत में है लेकिन आए दिन खेत में जल रही गेहूं की फसल उसके सारे सपने तोड़कर कर रख दिए हैं। किसानों के लिए यह आपदा है तो समझदारों के लिए यह सरकारी व्यवस्था की बहुत बड़ी लापरवाही। लाखों रुपये हर साल खर्च करने के बाद भी बिजली के तार न बदले जा रहे हैं न ही इसकी पैमाने पर कसा जा रहा है। नजीता इन तारों के टूटने स्पार्किंग से किसानों की खड़ी फसल खेत में ही जलकर खाक हो जा रही है। जिले में अब तक 300 बीघा से अधिक गेहूं की फसल जल चुकी है। इसमें कई छोटे कास्तकार भी हैं। इसी फसल के बूते न जाने वह कितने सपने सच करने की तैयारी में थे। किसी को लड़की की शादी करनी थी तो किसी को इलाज करना था। किसी को लड़के की फीस अदा करनी थी तो किसी को कर्जा चुकाना था। इस फसल के अलावा इसके पास कुछ नहीं था। ऐसे किसान सिर पर हाथ रख अपनी किस्मत को कोस रहे हैं। प्रशासनिक व्यवस्थ की माने तो जर्जर तार बदलने व मेंटेनेंस के नाम पर हर साल तीस लाख रुपये मिलते हैं। विभाग की माने तो हरसाल इस दिशा में काम होता है वहीं किसानों की सुने तो कुछ नहीं होता। सिर्फ अधिकारी जेब भरते हैं। तार बदलने व मरम्मत पर 30 लाख

पिछले वित्तीय वर्ष में विद्युत तारों व ट्रांसफार्मरों के मेंटनेंस पर 30 लाख रुपये खर्च किए गए थे। इस वित्तीय वर्ष के लिए अभी तक एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। इस साल भी जितने भी जर्जर तार टूटेंगे उसे बदलने की व्यवस्था विभाग की तरफ से करनी है। जले ट्रांसफार्मरों को बदलने के लिए भी विभाग पूरी तरह से अलर्ट है। वैसे इस समय विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से लुंज-पुंज हो गई है। ऐसे में विभाग के लोग जर्जर तारों को बदलने के लिए कमर कसे हुए हैं लेकिन बजट न होने से विभाग पूरी तरह से हाथ रोके हुए हैं। शहर क्षेत्र में अंडरग्राउंड केबिल व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। ऐसे में जर्जर तारों पर ही बिजली व्यवस्था टिकी है। तमाम क्षेत्रों में जर्जर तार आएदिन टूटकर गिरते रहते हैं। विभाग के लिए डिमांड की गई है। इसके अलावा एमडी को भी जर्जर तारों की अव्यवस्था से अवगत कराया जा चुका है। अभी तक शासन की तरफ से कोई धन नहीं आया है। इसकी वजह से जर्जर तारों को बदले में दिक्कत हो रही है।

अरविद सिंह : अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड प्रथम।


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