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503 स्थानों पर अदा की गई बकरीद की नमाज

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : ईद-उल-अजहा (बकरीद) पूरे जनपद में सोमवार को अकीदत के साथ मनाई गई। इस दौरान

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 06:21 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 06:21 PM (IST)
503 स्थानों पर अदा की गई बकरीद की नमाज
503 स्थानों पर अदा की गई बकरीद की नमाज

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : ईद-उल-अजहा (बकरीद) पूरे जनपद में सोमवार को अकीदत के साथ मनाई गई। इस दौरान कुल 503 स्थानों पर नमाज अदा की गई। शहर के बदरका ईदगाह पर सुबह साढ़े सात बजे बकरीद नमाज अदा के बाद एक दूसरे से लोग गले भी मिले। इस दौरान छोटे-छोटे बच्चे भी आपस में गले मिल रहे थे। बकरीद की नमाज के बाद कुर्बानी का दौर शुरू हो गया और देर शाम तक यह चलता रहा। मुबारकपुर क्षेत्र के लोहरा में प्रशासनिक रोक की वजह से कुर्बानी नहीं हुई और चप्पे-चप्पे पर पुलिस व पीएसी के जवान तैनात रही। प्रशासनिक अफसरों की यहां विशेष नजर रही।

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बकरीद की नमाज को लेकर सुबह से ही नगर पालिका व पुलिस प्रशासन पूरी तरह से लगा हुआ था। ईदगाह के इर्द-गिर्द भव्य सफाई की गई थी। पशुओं के आने पर रोक के लिए जगह-जगह पालिका के कर्मचारी मौजूद थे। बदरका ईदगाह पर सुबह से ही जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह, पुलिस अधीक्षक प्रो. त्रिवेणी सिंह व अन्य अफसर मौजूद थे। सर्वप्रथम बदरका ईदगाह पर नमाज अदा की गई। नमाज सकुशल सम्पन्न होने पर पुलिस व प्रशासन ने राहत की सांस ली। मुबारकपुर के लोहरा छोड़ अन्य क्षेत्रों में नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी दी गई। कुर्बानी के बकरे के गोश्त को तीन हिस्सा करने की शरीयत में सलाह है। गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में, दूसरा दोस्त अहबाब के लिए और वहीं तीसरा हिस्सा घर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मुस्लिम बंधु गोश्त बांटे व जकात के धन को गरीबों में बांटा।

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हजरत इब्राहिम के जमाने से शुरू हुई बकरीद

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक पैगंबर हजरत इब्राहिम के जमाने से बकरीद की शुरुआत हुई। वह हमेशा बुराई के खिलाफ लड़े। उनका ज्यादातर जीवन जनसेवा में बीता। 90 साल की उम्र तक उनकी कोई औलाद नहीं हुई तो उन्होंने खुदा से इबादत की और उन्हें चांद से बेटा इस्माईल मिला। उन्हें सपने में आदेश आया कि खुदा की राह में कुर्बानी दो। पहले उन्होंने ऊंट की कुर्बानी दी। इसके बाद उन्हें सपने आया कि सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दो। इब्राहिम ने सारे जानवरों की कुर्बानी दे दी। उन्हें फिर से वही सपना आया, इस बार वह खुदा का आदेश मानते हुए बिना किसी शंका के बेटे के कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने अपनी पत्नी हाजरा से बच्चे को नहला-धुलाकर तैयार करने को कहा। इब्राहिम जब वह अपने बेटे इस्माईल को लेकर बलि के स्थान पर ले जा रहे थे तभी इब्लीस (शैतान) ने उन्हें बहकाया कि अपने जिगर के टुकड़े को मारना गलत है। लेकिन वह शैतान की बातों में नहीं आए और उन्होंने आखों पर पट्टी बांधकर कुर्बानी दे दी। जब पट्टी उतारी तो बेटा उछल-कूद रहा था तो उसकी जगह बकरा यानी बकरे की बलि खुदा की ओर से कर दी गई। इसलिए बकरे की कुर्बानी दी जाती है। हजरत इब्राहिम ने खुदा का शुक्रिया अदा किया। इब्राहिम की कुर्बानी से खुदा खुश होकर उन्होंने पैगंबर बना दिया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि जिलहिज्ज के इस महीने में जानवरों की बलि दी जाती है। इसलिए बकरीद पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। वहीं मुस्लिम हज के अंतिम दिन रमीजमारात जाकर शैतान को पत्थर मारते हैं जिसने इब्राहिम को खुदा के आदेश से भटकाने की कोशिश की थी।

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डीएम व एसपी ने किया पौधारोपण

जासं, आजमगढ़ : भारत रक्षा दल के तत्वावधान में सोमवार को ईद-उल-अजहा के अवसर पर संगठन के मंडल अध्यक्ष मोहम्मद अफजल के नेतृत्व में बदरका स्थित ईदगाह परिसर में जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह व पुलिस अधीक्षक प्रो. त्रिवेणी सिंह ने पौधारोपण किया। इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि पौधरोपण अब आवश्यकता ही नहीं मजबूरी भी बन गया है। अब ऐसी गंभीर स्थिति में भी हम लोग नहीं चेते तो स्थिति और भयावह होगी। इसलिए हमें जल्द से जल्द अपने पर्यावरण को बेहतर करना होगा। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष उमेश सिंह गुड्डू, निशीथ रंजन तिवारी, मनीष कृष्ण साहिल, डा. धीर जी श्रीवास्तव, रामजनम निषाद, जावेद अंसारी, सुनील वर्मा आदि उपस्थित थे।

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