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पहले मेरी पूछ थी पर अब कोई ध्यान नहीं देता

जागरण संवाददाता, अहरौला (आजमगढ़) : एक दौर मेरा भी था। मेरे ही सहारे कई गांवों के लो

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jan 2018 10:39 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jan 2018 10:39 PM (IST)
पहले मेरी पूछ थी पर अब कोई ध्यान नहीं देता
पहले मेरी पूछ थी पर अब कोई ध्यान नहीं देता

जागरण संवाददाता, अहरौला (आजमगढ़) : एक दौर मेरा भी था। मेरे ही सहारे कई गांवों के लोग आवागमन करते थे। वैसे आवागमन तो आज भी करते हैं। लेकिन पहले लोग मेरी सुधि लेते थे। थोड़ी चोट लगने पर लोग मरहम पट्टी करते थे। लेकिन आज वो बात नहीं है। कई स्थानों से मेरे में टूट-फूट हो गई है पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जी हां, कुछ ऐसी ही स्थिति है मेरी। अरे मुझे पहचाना नहीं मैं वहीं क्षेत्र के युधिष्ठिर पट्टी गांव में बीसइपुर रोड पर 15 साल से नाले पर बनी पुलिया हूं।

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वैसे देखा जाए तो उक्त पुलिया की स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी है। बीच का पावा भी नीचे से खाली हो चुका है जो कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती है। सरकारी अनदेखी के कारण अपने पुनर्निर्माण की आस देख रही है। कुछ वर्ष पूर्व विभाग ने पुलिया के दोनों तरफ दीवार खड़ा कर लोगों का आवागमन रोक दिया था। धीरे-धीरे लोगों ने उसे भी तोड़कर आवागमन कर लिया। इसकी शिकायत कई लोगों ने अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से की लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। अब तो इस पुलिया से लोगों को आने-जाने में भी भय बना रहता है।

शारदा सहायक खंड 32 का बड़ा रजवाहा जो केदारपुर से होते कौड़िया तक जाता है। उसी में से निकला नाला इसहाकपुर से होते बीसइपुर गांव के बगल से परगाशपुर होते हुए अहरौला के तमसा नदी में मिलती है। इसके बीज अहरौला, कप्तानगंज रोड से ¨लक रोड बीशइपुर, शंभूपुर को जाती है जो इसी नाले से होकर गुजरी है। इस पर बनी यह पुलिया टूट चुकी है जो ¨सचाई विभाग के संज्ञान में है। ¨सचाई विभाग ने पुलिया पर दोनों तरफ मोटी दीवार खड़ी कर लोगों का आवागमन बंद कर दिया था।

कुछ दिन तो आवागमन बाधित रहा लेकिन धीरे-धीरे इस रास्ते से गुजरने वाले दीवार तोड़ते गए और रास्ता पुन: बहाल हो गया। ऐसा तीसरी बार हुआ मगर राजगीर इसी टूटी पुलिया से अपना आवागमन जारी रखे। इस पुलिया से होकर दर्जनों गांव के लोग गुजरते हैं और स्कूली बस, ट्रैक्टर ट्राली, जीप सहित दो व चार चक्का वाहन रोज गुजरते हैं। मजबूरी के चलते राहगीर भी इस खतरे को मोल लेते हैं। पिछली सरकार में भी दर्जनों बार इस समस्या से उच्चाधिकारियों से लेकर मंत्री व विधायक तक को अवगत कराया गया लेकिन इस समस्या पर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं गया। विकास का ¨ढढोरा पीटने वाली यह सरकार भी किसान और नौजवानों की उम्मीदों पर बेकार साबित हो रही है। जनता की किसी भी समस्याओं का समाधान होता नहीं दिखाई दे रहा है। इसके चलते ग्रामीण अंचल के लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश है।


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