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150 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में 200 चिह्नित

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : समाज कल्याण विभाग में 150 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में मामल

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 11:30 PM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 11:30 PM (IST)
150 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में 200 चिह्नित
150 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में 200 चिह्नित

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : समाज कल्याण विभाग में 150 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में मामला आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी (ईओडब्ल्यू) के हवाले किए जाने के बाद अब तक 200 लोगों को चिह्नित किया जा चुका है। ईओडब्ल्यू की टीम हजारों पन्ने की जांच रिपोर्ट के पन्ने को जहां खंगालने में जुटी है वहीं किसी भी दिन जनपद में धमक सकती है। इससे बड़ा खुलासा हो सकता है।

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छात्रवृत्ति घोटाले में पहला मुकदमा एक सितंबर 2014 को कप्तानगंज थाने में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी ने दर्ज कराया था। इसमें तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी एनएन द्विवेदी, पटल सहायक गंगासागर राय, जिला सहकारी बैंक के तत्कालीन प्रबंधक हरेराम यादव, सचिव अजीत कुमार वर्मा, तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक नामजद को शामिल किया गया। दूसरा मुकदमा एक सितंबर 2014 को ही बलराम बेचू इंटर कालेज पटवधकौतूकपुर वीरमपुर के प्रधानाचार्य जयप्रकाश यादव, यूबीआइ चंडेश्वर के तत्कालीन प्रबंधक भोला राम, जिला प्रोबेशन कार्यालय के कनिष्ठ लिपिक सुभाष चंद्र, जितेंद्र राय, गंगासागर राय, संजय राय, संतोष कुमार श्रीवास्तव, नागेंद्र राय का नाम शामिल है। तीसरा मुकदमा 20 नवंबर 2014 को दर्ज कराया गया। इसमें जूनियर हाईस्कूल अंबारी के प्रबंधक मु. हनीफ, लिपिक सुभाष चंद्र, कमलेश राय, लालचंद, तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी ओपी सैनिक, शाखा प्रबंधक यूबीआइ अंबारी, भीमबर, बेलइसा, डीसीबी चौक, सुपरवाइजर जितेंद्र राय, गंगा सागर राय, नागेंद्र राय, संतोष कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं। चौथा मुकदमा 11 जून 2015 को दर्ज कराया गया। इसमें डीसीबी कप्तानगंज के प्रबंधक हरीराम यादव, गंगा सागर राय, गो¨वद, अनीता, राहुल, जिला समाज कल्याण अधिकारी, बाल गो¨वद, मनोज पांडेय, रमेश व अज्ञात लोग शामिल हैं। इसमें से समाज कल्याण के सहायक कनिष्ठ सुपरवाइजर जितेंद्र राय की मौत हो चुकी है। प्रोबेशन विभाग के लिपिक सुभाष चंद्र, जिला सहकारी बैंक के पूर्व प्रबंधक हरिराम यादव, मिर्जापुर से एक लिपिक को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभी भी 31 आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। इसके अलावा करीब पचास संस्थाओं के संस्थापक भी घोटाले में शामिल हैं। छह माह पूर्व शासन द्वारा मामला ईओडब्ल्यू के हवाले कर दिया गया था। तीन माह तक ईओडब्ल्यू की टीम जांच रिपोर्ट के दस्तावेजों को पूरी तरह से पलट रही थी। बीच में ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के यहां नोटिस भी जारी की थी। इसके बाद अब करीब 200 लोगों को चिह्नित किया जा चुका है। इसके बाद सीधे

कार्रवाई की तलवार लटक रही है। ईओडब्ल्यू पूरी फाइल को शासन को भेजने की तैयारी में है। जल्द ही इसमें बड़े खुलासे हो सकते हैं।

विभाग के पास एसआई कमी है। उनके यहां घोटाले के करीब 200 मामले अभी लंबित है। सभी फाइलों को एक साथ देखा जाना संभव नहीं है। फिर भी जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। छात्रवृत्ति घोटाले का मामला तो बेहद ही संवेदनशील है।

सत्येंद्र कुमार , एसपी ईओडब्ल्यू।


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