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16 घंटे में मात्र छह सेमी घटी घाघरा

जागरण संवाददाता, रौनापार (आजमगढ़) : देवारांचल में घाघरा नदी का जलस्तर पिछले चार दिनो

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Aug 2017 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2017 03:00 AM (IST)
16 घंटे में मात्र छह सेमी घटी घाघरा
16 घंटे में मात्र छह सेमी घटी घाघरा

जागरण संवाददाता, रौनापार (आजमगढ़) : देवारांचल में घाघरा नदी का जलस्तर पिछले चार दिनों से धीरे-ध्रीरे घट रहा है लेकिन अभी भी खतरा निशान से ऊपर है। पिछले 16 घंटे में छह सेमी की कमी दर्ज की गई लेकिन मुहला-गढ़वल बांध के तटवर्ती बाढ़ से प्रभावित 87 गांवों के लिए भी कोई राहत की बात नहीं है। अभी भी सभी संपर्क मार्ग डूबे हैं। लोगों का आवागमन नावों के ही भरोसे हो रहा है। अभी तक लगभग 150 बाढ़ से प्रभावित लोग विस्थापित हुए हैं, जिन्हें प्रशासन की तरफ से राहत सामग्री वितरित की जा रही है। अब देवारावासियों को इस बात की ¨चता सता रही है कि जब जलस्तर घट जाएगा तो कटान तेज होगी और जलजमाव के बाद संक्रामक बीमारियों के फैलने की आंशका बढ़ जाएगी। उधर, जिन गांवों से बाढ़ का पानी हटा है, वहां के पशुओं में खुरपका-मुंहपका का रोग तेजी से फैलने लगा है। अभी भी नदी का जलस्तर लाल निशान से 46 सेमी ऊपर बह रहा है।

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नदी का जलस्तर बुधवार की शाम चार बजे मुख्य माप स्थल बदरहुआ नाला पर खतरा निशान 71.68 मीटर के ऊपर 72.20 मीटर था, गुरुवार की सुबह आठ बजे 72.14 मीटर पर रिकार्ड किया गया। जबकि न्यूनतम गेज डिघिया नाला बुधवार की शाम चार बजे खतरा निशान 70.40 मीटर के ऊपर 71.32 मीटर तो दूसरे दिन सुबह आठ बजे 71.25 मीटर पर दर्ज किया गया। देवारा के लोग अभी भी नाव से ही महुला-गढ़वल बांध पर जा रहे हैं। विस्थापित परिवार अभी घर नहीं जा रहे हैं। क्योंकि जब तक पानी का स्तर नीचे नहीं जाएगा तब तक उनके घर रहने के लिए उपयुक्त नहीं होंगे। प्रशासन द्वारा भूसा का वितरण करने के बाद भी पशुओं के चारे की समस्या बनी है। जब तक नदी का पानी हट नहीं जाता, उसके बाद बारिश नहीं होती है तब तक पशु घास नहीं चरते हैं। बाढ़ आने से भूसा, बाजरा आदि भी नष्ट हो गए हैं। इससे पशुओं के चारे की विकट समस्या है।

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वर्जन:- क्या कहते हैं मुख्य चिकित्साधिकारी

“महुला-गढ़वल बांध स्थित सभी बाढ़ चौकियों पर डाक्टर सहित अन्य चिकित्सा कर्मियों की तैनाती की गई है। बाढ़ प्रभावित गांवों में नाव द्वारा चिकित्सकों की टीम जा रही है। निर्देशित किया गया है कि चिकित्सीय परीक्षक कर आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई जाएं। आवश्कता पड़ने पर बेहतर उपचार के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या फिर मंडलीय चिकित्सालय में भर्ती कराया जाए। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी स्नैक इंजेक्शन उपलब्ध करा दिया गया है।

---डा. एसके तिवारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, आजमगढ़।

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वर्जन:-क्या कहते हैं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

“बाढ़ प्रभावित गांवों में पशुओं के टीकाकरण के लिए टीम बनी है। संबंधित टीम गांवों में जाकर टीकाकरण के साथ समुचित इलाज कर रही है। बाढ़ चौकियों पर भी विभागीय चिकित्सकों व कर्मचारियों की तैनाती पहले ही सुनिश्चित की गई है। पशुओं के इलाज के लिए सारी व्यवस्था मुकम्मल है।

--डा.वीके ¨सह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, आजमगढ़।


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