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    डेढ़ माह में भी नहीं मिली FSL रिपोर्ट, पगलाभारी विस्फोट का रहस्य अनसुलझा; पुलिस ने लैब को भेजा रिमाइंडर

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 05:15 PM (IST)

    पगलाभारी में हुए विस्फोट के डेढ़ महीने बाद भी पुलिस को एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार है, जिससे रहस्य बरकरार है। जांच में हो रही देरी के कारण पुलिस ने लैब क ...और पढ़ें

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    रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्या। जिला ही नहीं शासन तक को हिला देने वाले पगलाभारी विस्फोट कांड का रहस्य डेढ़ माह बाद भी अनसुलझा है। गृहस्वामी सहित छह लोगों की जान लेने वाले इस धमाके की गूंज भले शांत हो गई हो, लेकिन चर्चाओं के रूप में इस विस्फोट का गुबार अभी-भी पगलाभारी में उड़ता रहता है।

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    धमाका गैस सिलेंडर से हुआ या पटाखाें के अवैध भंडारणा से यह स्थिति पुलिस स्पष्ट नहीं कर सकी, क्योंकि जांच के लिए फारेंसिक लैब भेजे गए साक्ष्यों की रिपोर्ट डेढ़ माह बाद भी पुलिस को नहीं मिली है। एफएसएल की रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए पुलिस ने लैब को रिमाइंडर भेजा है।

    इसी रिपोर्ट से स्पष्ट होगा कि शक्तिशाली धमाके का वास्तविक कारण क्या था। दीपोत्सव से पूर्व इस धमाके ने शासन प्रशासन के कान खड़े कर दिए थे। इस घटना की जड़ तलाशने के लिए एसटीएफ को भी जांच में लगाया गया है, लेकिन एसटीएफ की जांच भी अभी किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकी है।

    जांच की स्थिति का यह हाल उस रामनगरी के प्रति है, जो आतंकियों के निशाने पर रहती है। एफएसएल की रिपोर्ट न मिलने से इस संवेदनशील प्रकरण की जांच ठंडी पड़ती जा रही है। पूराकलंदर थाना के निरीक्षक संजीव सिंह ने बताया कि प्रकरण की जांच अभी जारी है। एफएसएल की रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए लैब को रिमाइंडर भेजा गया है।

    जब धमाकों से सहम गया था पगलाभारी गांव

    गत नौ अक्टूबर को पूराकलंदर के पलगाभारी गांव में रामकुमार गुप्ता के मकान में भीषण विस्फोट हुआ था। इस धमाके की गूंज करीब तीन किलोमीटर तक सुनाई पड़ी। विस्फोट में रामकुमार का मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। शवों के चीथड़े व घरेलू वस्तुएं घटनास्थल से 100-150 मीटर दूर तक गिरे हुए थे।

    इस धमाके में रामकुमार, उनकी दस वर्षीय पुत्री इशी व दो पुत्रों आठ वर्षीय लव और छह वर्षीय यश के अलावा एक मजदूर रामसजीवन की उसी दिन मौत हो गई थी, जबकि रामकुमार की साली का शव दूसरे दिन मिला था।

    धमाके की वजह पुलिस पहले गैस सिलेंडर का विस्फोट मान रही थी, लेकिन दूसरे दिन जेसीबी से मलबा हटाते समय दोबारा हुए विस्फोट ने पुलिस के माथे पर भी चिंता की लकीर उत्पन्न कर दी। धमाकों के पीछे पटाखाें के अवैध भंडारण की भी आशंका व्यक्त की गई थी।

    अप्रैल वर्ष 2024 में रामकुमार की आटा चक्की में विस्फोट हुआ था। इस धमाके में उसकी पत्नी, मां व गांव की एक बालिका काल के गाल में समा गए थे। इसके बाद गांव वालों ने उसका विरोध किया।

    ग्रामीणों ने उस पर पटाखों के अवैध भंडारण एवं निर्माण से जुड़े होने का आरोप लगाया, लेकिन उस समय पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिसे लेकर ग्रामीणों में भी नाराजगी रही। पटाखों के अवैध कारोबार को लेकर ग्रामीणों के बहिष्कार के बाद वह गांव के बाहर घर बना कर रहने लगा।