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गीला-सूखा कचरा उठाने वाले वाहन खड़े, स्वच्छता से टूटा नाता

जासं औरैया स्वच्छता की रैंकिग में प्रदेश स्तर पर छठवें पायदान पर औरैया रहा है। जोन मे

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 05:39 PM (IST)
गीला-सूखा कचरा उठाने वाले वाहन खड़े, स्वच्छता से टूटा नाता
गीला-सूखा कचरा उठाने वाले वाहन खड़े, स्वच्छता से टूटा नाता

जासं, औरैया: स्वच्छता की रैंकिग में प्रदेश स्तर पर छठवें पायदान पर औरैया रहा है। जोन में 82वीं रैंक। पहला पायदान पाने की जद्दोजहद वर्ष 2019 से की जा रही। इंदौर की तर्ज पर सफाई व्यवस्था को अपनाते हुए गीला-सूखा कचरा निस्तारण पर कसरत हुई लेकिन जागरूकता के अभाव व विभागीय अफसरों की अनदेखी सपने को साकार नहीं कर सकी है। आलम यह है कि वाहनों से अलग-अलग कचरे का उठान एक कर दिया गया है। शहर से करीब 19 क्विंटल कचरा खुले में डंप कर दिया जा रहा है। नाली गंदगी से पटी है तो सफाई कर्मचारी सिर्फ अधिकारियों की चाकरी में लगे हैं। ऐसे में कहीं न कहीं स्वच्छता से नाता टूट रहा है।

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मध्यप्रदेश के इंदौर ने स्वच्छता में बाजी मारते हुए देश के सबसे साफ शहर का तमगा हासिल किया है। यह उपलब्धि पाने का सपना औरैया की नगर पालिका परिषद ने भी देखा है। लेकिन,सपना सपना ही है। इंदौर की साफ-सफाई व्यवस्था की तर्ज पर परिषद की ओर से सूखा-गीला कचरा का अलग-अलग निर्धारण करने की कवायद की गई थी। जागरूकता के अभाव में यह प्रचलन प्रभावी नहीं हो सका। जरूरी संसाधनों को जैसे-तैसे जुटाया। बाद में खानापूर्ति कर ली गई। वर्ष 2019 से गीला व सूखा कचरे का अलग-अलग उठान करना सुनिश्चित किया गया है। इसके लिए शहर के प्रमुख स्थानों पर हरे व नीले डस्टबिन रखाए गए थे। जिसमें अलग अलग कूड़ों को डालने की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा कूड़ा उठान के लिए 10 गाड़ियों से डोर-टू-डोर को प्रभावी बनाया गया था। लोगों में जागरूकता के अभाव के चलते यह प्रयास सफल न हो सका।

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गंदगी से पटी नाली व मार्ग किनारे कूड़ा

स्वच्छ भारत के साथ ही स्वच्छता की ओर एक कदम की बातें अस्पताल से लेकर सरकारी कार्यालयों की दीवारों पर लिखी गई है। इसे अमल में लाने के लिए सफाई कर्मचारी खुद लापरवाह

नजर आते हैं। इसकी बानगी 50 शैया जिला अस्पताल, रोडवेज डिपो, यमुना रोड, देवकली चौराहा, विजय नगर के अलावा आवास विकास और आंबेडकर कालोनी है। जहां गंदगी व्याप्त है। नाली से यदि कचरा निकाला गया तो उसे वहीं छोड़ दिया गया। जो शहर की छवि को धूमिल कर रहा है।

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बोले जिम्मेदार..

गीला-सूखा कचरा के अलग-अलग निस्तारण के लिए जागरूकता के लिए सामाजिक संस्थाओं से लेकर वार्ड स्तर पर चर्चा की गई। लोगों में सफाई को लेकर बदलाव देखने को नहीं मिला है। जिसके परिणाम स्वरूप प्रयास अधूरा रहा।

-बलवीर सिंह, अधिशाषी अधिकारी


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