बच्चों के जीवन में फैला रहे ज्ञान का उजाला
संवादसूत्र, बेला (औरैया) : 'कुछ परेशानियों से ¨जदगी कभी खत्म नहीं होती..' दोस्त के इन शब्दो
संवादसूत्र, बेला (औरैया) : 'कुछ परेशानियों से ¨जदगी कभी खत्म नहीं होती..' दोस्त के इन शब्दों ने 24 वर्षीय अनुराग सिंह की ¨जदगी बदल दी। औरैया जिला मुख्यालय से 35 किमी. दूर सहार ब्लाक के गांव देवीदास में रहने वाले अनुराग का बचपन मुश्किलों भरा रहा लेकिन उन्होंने हर बाधा को अपने जज्बे से हराया। बीमारी से लड़कर एलएलबी करने के बाद आज वह अपने दोस्तों के सहयोग से बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजाला फैला रहे हैं। वह कापी-किताब आदि सामग्री भी बच्चों को उपलब्ध कराते हैं।
पांच भाई और दो बहनों में सबसे छोटे अनुराग को जन्म के छह माह बाद ही पैरालिसिस हो गया था। डेढ़ वर्ष की उम्र में ठीक हो सके। तीन साल की उम्र में उन्हें दौरे पड़ने लगे। इलाज चलने के साथ ही उनकी पढ़ाई कभी बंद नहीं हुई। वर्ष 2006 में दसवीं परीक्षा पास करने के बाद मानसिक संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा गया था लेकिन वह बाद में ठीक हो गए। उन्होंने किसी तरह अपनी शिक्षा पूरी की। अनुराग को इन मुश्किल क्षणों से उनके दोस्त सुमित गुप्ता ने उबारने की बहुत कोशिश की। वर्ष 2014 में एक सड़क हादसे में उनका दोस्त नहीं रहा। 'कुछ परेशानियों से ¨जदगी कभी खत्म नहीं होती' उसके इस वाक्य ने उन्हें हिम्मत दी और 'आओ मिलकर करें मदद' नाम से एक संस्था चालू की। इस संस्था का उद्देश्य गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देना, महिलाएं अपने अधिकार जानें, बेटी बचाओ जैसे तमाम मुद्दे पर कार्य करना है। अनुराग बताते हैं कि उनके मित्र रोहित वर्मा, नीतेश प्रताप ¨सह, आर्यन कुशवाहा और यश उनकी इस मुहिम में शामिल हैं। वह व उनके सभी मित्र प्राइवेट जॉब करते हैं और उससे जो कमाते हैं। उसी से बच्चों को कापी-किताबें आदि देते हैं। अन्य शिक्षण सामग्री भी इसी धन से आती है। वह गांव के गरीब परिवारों के बच्चों को दोपहर दो से शाम पांच बजे तक निश्शुल्क पढ़ाते हैं। कुछ बच्चों से शुरू हुई इस कक्षा में अब डेढ़ सौ से अधिक बच्चे रोज पढ़ने पहुंच रहे हैं। पहले वह अपने घर पर ही बच्चों को पढ़ाते थे। लेकिन अब वह अपने चाचा के पुराने मकान में बच्चों को शिक्षा देते हैं। आसपास के गांव के बच्चे भी उनकी कक्षा में पहुंच रहे हैं। वह उन बच्चों को अपनी कक्षा में लाने का पूरा प्रयास करते हैं, जो किसी न किसी मजबूरी की वजह से स्कूल छोड़ चुके हैं। अनुराग कहते हैं उन्हें बच्चों को पढ़ाकर सुख की अनुभूति होती है।
गांव की बेटियां खेलती हैं क्रिकेट
एक टीम महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रही हैं। इस टीम में गांव की कई युवतियां शामिल हैं। अनुराग पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को स्पोर्ट्स, म्यूजिक, फोटोग्राफी आदि की भी शिक्षा देते हैं। लड़कियों को क्रिकेट आदि भी खिलाया जाता है। उनका कहना है कि अलग-अलग तरह की गतिविधियों से बच्चों का मानसिक विकास होता है।