भूखों को खाली पेट नहीं सोने देता ये अनाज बैंक
जागरण संवाददाता, उरई : रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की प्रमुख आवश्यकताएं हैं। इनमें जो सबस
जागरण संवाददाता, उरई : रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की प्रमुख आवश्यकताएं हैं। इनमें जो सबसे प्रमुख है वह है रोटी। तमाम लोग ऐसे हैं जिनके पास मकान हैं, कपड़े हैं लेकिन खाने को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे लोगों की मदद के लिए जिले का अनाज बैंक महती भूमिका अदा कर रहा है। बहन की याद में जिले की डा. अमिता सिंह द्वारा शुरू की गई ये पहल अब मील का पत्थर बन चुकी है।
शिवपुरी में रहने वाली डा. अमिता का एक ही उद्देश्य है कि कोई खाली पेट न सोए। वह बताती हैं कि कहीं पढ़ा था कि एक ऐसा बैंक हैं जो गरीब महिलाओं को अनाज देता है। बहन अनिला राणावत से इसको लेकर चर्चा हुई लेकिन किन्हीं कारणों से इसकी शुरुआत नहीं कर सकीं। बात आई-गई हो गई। कुछ समय बाद ही बहन की मौत हो गई। उनकी बरसी का अयोजन किया जाना था। इसी बीच बेटी हर्षिता ठाकुर ने सुझाया कि कुछ ऐसा किया जो एक नजीर बन जाए। उसी समय अनाज बैंक की याद आई और प्रयास शुरू कर दिए। इंटरनेट की मदद से तलाशा तो पता चला कि वाराणसी में मुख्यालय है और दिल्ली में एक शाखा है जिसकी संचालक प्रियंका गांगुली ने बहन अंजुला के साथ पढ़ाई की है। प्रियंका से संपर्क किया और एक नवंबर 2017 को घर से ही शुरुआत की। आरटीआइ कार्यकर्ता डा. कुमारेन्द्र से चर्चा कर सुभाष चंद्रा से मदद ली। ऐसी महिलाओं का सर्वे किया, जो वास्तव में जरूरतमंद थीं। पहली बार 15 महिलाओं को पांच-पांच किलो आटा दिया गया। वर्तमान में हर माह में दो बार 96 महिलाओं को आटा दिया जाता है। अकेले की गई इस शुरुआत में अब 59 महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं।
मदद में केवल आटा, नकद नहीं
डा. अमिता बताती हैं कि बुंदेलखंड में अनाज बैंक ही यही शाखा है। जो लोग मदद करना चाहते हैं उनसे सिर्फ आटा लिया जाता है। नकद राशि का सहयोग नहीं लिया जाता है। प्रमुख पर्वो पर लोग अन्य सामग्री भी देती हैं। जरूरतमंदों को कपड़े भी दिए जाते हैं। रोजगार के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। जल्द ही मोबाइल सेवा शुरू कर दूसरे क्षेत्र की महिलाओं की मदद करने की भी योजना है।