कबाड़ से बगिया में भरे रंग, बनेंगी डॉक्यूमेंट्री
हिमांशु गुप्ता औरैया घर में पड़े कबाड़ का सदुपयोग कैसे करना है। यह पेशे से फोटोग्रा
हिमांशु गुप्ता, औरैया
घर में पड़े कबाड़ का सदुपयोग कैसे करना है। यह पेशे से फोटोग्राफर महेंद्र सिंह से सीखने की जरूरत है। उन्होंने घर में बगिया लगाकर हर अनुपयोगी वस्तु का इस्तेमाल कर इसमें चार चांद लगा दिए है। अब उनके घर का एक बूंद भी पानी बर्बाद नहीं होता। इसके लिए वह वहां तालाब बनाकर जल संचयन कर रहे हैं। उनसे प्रेरित होकर कई लोग अब उनकी विधि को अपना रहे है। जल्द ही नेचरमैन नाम से उनकी बगिया पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनेगी।
महेंद्र सिंह फोटोग्राफर होने के साथ संविदा पर शिक्षक हैं। उनका प्रकृति प्रेम इतना जबरदस्त है कि उन्होंने घर बनवाया तो 50 फीसद जगह हरियाली के लिए छोड़ी। वहां बगिया लगाकर उसमें कबाड़ की चीजों से रंग भर दिए। कूलर से निकली खस से चिड़ियों के घोंसले बनाए। उसमे विलुप्त हो रही गौरैया का परिवार रहता है। वॉश बेसिन व घर का पानी सीधे बगिया में जाता है। बारिश के पानी के लिए टैंक बना है। पुराने हेलमेट को पेड़ पर टांगकर उसमें बेल लगा दी। पेंट की बाल्टियों को काटकर गमले में तब्दील कर दिया। टायरों को तीन भाग में काटकर दीवार पर लटकाकर बेल लगाई है। इसी तरह घर की ऐसी कोई अनुपयोगी चीज नहीं है जिसे उन्होंने बगिया में इस्तेमाल न किया हो। आज उनकी बगिया में पक्षियों का झुंड आसानी से देखने को मिल जाता है। महेंद्र बताते हैं कि वह घर की कोई खराब चीज नहीं फेकते। इस काम में घर के सभी लोग उनका सहयोग करते हैं। कस्बे के तमाम लोग उनकी बगिया से प्रेरणा लेकर अपने यहां ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं। कई लोग कूलर की पुरानी खस से पक्षियों के लिए में घोंसले बनाकर अपने घरों में टांग चुके हैं।