चूल्हे बुझे, भड़की पेट की आग
देवेश सक्सेना/जितेंद्र गुर्जर अजीतमल तहसील प्रशासन के आंकड़े बताते हैं कि करीब एक सप्ताह तक
देवेश सक्सेना/जितेंद्र गुर्जर अजीतमल
तहसील प्रशासन के आंकड़े बताते हैं कि करीब एक सप्ताह तक बाढ़ के कहर के कारण 15 गांवों में 1625 परिवार के 9506 लोग प्रभावित हुए। सबकुछ तबाह होने के कारण प्रशासन ने करीब 50 हजार रुपये की लइया, चना और बिस्कुट बांटकर इनकी भूख मिटाने का दावा कर अपनी पीठ ठोक ली। लेकिन हकीकत में यह सहायता ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। ग्रामीणों के सामने इस समय रोजी रोटी तक के लाले हैं।
अजीतमल तहसील क्षेत्र के अंतर्गत करीब 15 गांवों में हजारों लोग बाढ़ की चपेट में आए थे। इनमें से बड़ैरा, गौहानी कला, सिकरोड़ी, बरदौली, मिश्रपुर मानिकचंद, फरिहा, गूज, असेवटा, जुहीखा, बीजलपुर गांव अधिक प्रभावित हुए। प्रशासन की मानें तो अब तक करीब पचास हजार रुपये की सामग्री बांटी है। जिसमें 20 बोरी लइया, 25 कार्टून बिस्कुट, मोमबत्ती, टॉर्च व लंच पैकेट शामिल हैं। जागरण की नजर से देखें बाढ़ पीड़ितों का दर्द
बाढ़ प्रभावित गांव सिकरोड़ी में करीब दस घर पूरी तरह से व 20 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। शिवशंकर बाढ़ की चपेट में आकर गिरी अपनी झोपड़ियां उठाने में लगा था। उमाशंकर के घर पर गृहस्थी बर्बाद हो जाने से कुछ चावल लोगों ने दे दिए थे। खिचड़ी खाकर गुजारा चल रहा है। भूखे बच्चों को दूध तक नहीं मिल पा रहा है। सोनवीर की पत्नी ज्ञानवती मवेशियों के बांधने के लिये बनी झोपड़ी में बारिश का पानी निकालने के लिए हाथ से मिट्टी में रास्ता बना रही थीं। गली भी टूट चुकी थीं। बृजनन्दन, राजू, फूलनदेवी अपने परिवार के साथ घर की मरम्मत करने में जुटे थे। कुछ पड़ोसी गांव दरियादिली दिखाकर सहायता कर रहे हैं। बारिश ने बढ़ाई मुसीबत
बाढ़ के बाद लोग गृहस्थी जुटाने में लगे हैं। कच्चे घरों को ग्रामीण मिट्टी लाकर जैसे तैसे दुरुस्त करने में जुटे हैं। बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। बोले जिम्मेदार
राहत सामग्री बांट दी गई है। इससे बाढ़ के कहर से लोगों को निजात मिल गई है। अब किसी प्रकार की समस्या नहीं है।
रामजीवन, एसडीएम