विसरा रिपोर्ट न आने से फाइलों में दबी चीखें
अर्पित अवस्थी औरैया विसरा की जांच रिपोर्ट न आने के कारण जहां बड़ी संख्या में दर्ज मामलों
अर्पित अवस्थी, औरैया : विसरा की जांच रिपोर्ट न आने के कारण जहां बड़ी संख्या में दर्ज मामलों में कार्रवाई अटकी हुई है, वहीं पीड़ित भी रिपोर्ट न आने की वजह से परेशान हैं। जिले के कई थानों में पिछले छह माह में दस मामलों में विसरों की जांच रिपोर्ट आना बांकी है। पुलिस की ओर से विसरा की रिपोर्ट जल्द भेजने के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला को लिखा जाता है, लेकिन इसका बहुत असर नहीं पड़ता। इसके कारण पीड़ितों की न्याय की उम्मीद भी धूमिल होती जा रही है। संदिग्ध हालात में मौत के मामलों में पोस्टमार्टम होने पर कई बार मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाता। ऐसे में विसरा सुरक्षित कर लिया जाता है। संबंधित थाने की पुलिस को विसरा सौंप दिया जाता है। विसरा की रिपोर्ट न आने पर ऐसे मामलों में विवेचना आगे नहीं बढ़ पाती। विवेचकों के सामने भी ये मजबूरी रहती है कि आखिर बिना विसरा रिपोर्ट के वह आरोपपत्र भी कैसे दाखिल कर दें।
पुलिस विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार विसरा की जांच सिर्फ लखनऊ स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला में होती है। पूरे प्रदेश से विसरा जांच के लिए इसी प्रयोगशाला में जाते हैं। इसके कारण जांच लंबित रहती है। महत्वपूर्ण मामलों में विशेष रुचि लेकर जांच जल्दी कराई जाती है और इसकी रिपोर्ट भी जल्द मंगवाने का प्रयास होता है। सामान्य मामलों में पुलिस भी विसरा की जांच जल्द कराने और रिपोर्ट मंगवाने में विशेष रुचि नहीं दिखाती। बड़ी संख्या में आपराधिक मामले विवेचना के लिए लंबित होने पर विवेचकों को समय-समय पर अधिकारियों की फटकार का सामना करना पड़ता है। उच्चाधिकारियों की नाराजगी भी विवेचकों को परेशान करती है। ये बात और है कि जिन मामलों में विवेचना लंबित होती है, उनमें से अधिकांश की वजह विसरा की रिपोर्ट न आना ही होता है। कई बार दहेज हत्या, साजिश के तहत जहर देकर मारने के मामले तो पुलिस दर्ज कर लेती है, लेकिन जब इनके विसरा की रिपोर्ट नहीं आती तो, ये विवेचनाएं लंबित दिखती हैं। कहीं न कहीं विसरा रिपोर्ट देर से आना विवेचकों के लिए भी मुसीबत का सबब है। जनपद में पिछले छह माह में 45 अज्ञात शव मिल चुके हैं। जिनकी हत्या कर शव नदी व सड़क किनारे फेंक दिए जाते हैं। दो-तीन मामले तो हाईप्रोफाइल हैं, जिनकी अभी तक बिसरा रिपोर्ट नहीं हा सकी है। जिस कारण न तो उनके परिजनों का पता चल सका है न ही उन्हें न्याय मिल सका है। मात्र फाइलों में ही विवेचनाएं उनकी चीखें कैद होकर रह गई हैं। केस - 1
सदर कोतवाली के पुर्वा रहट के पास करीब चार साल पहले एक युवती के हाथ व पैर काटकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले शिनाख्त कराए जाने का काफी प्रयास किया गया था, लेकिन पहचान नहीं हो सकी थी। विसरा रिपोर्ट के अलावा डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट भी भेजी गई थी, लेकिन रिपोर्ट न आने के कारण न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है। अब यह मामला पुलिस की फाइलों में कैद हो रह गया है। केस - 2
दिबियापुर कस्बा निवासी मनोज दुबे हत्याकांड में भी विसरा सुरक्षित किया गया है। इस मामले में पुलिस की जांच जारी है। जहां स्वजनों ने हत्या किए जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। वहीं पुलिस ने इसे संदिग्ध मान रही है। एसपी सुनीति ने जल्द ही विसरा सुरक्षित कर उसे प्रयोगशाला लखनऊ भेजा है। दो माह से अधिक का समय बीत गया, लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आ सकी है। जिस कारण स्वजन अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है। पिछले छह माह में थाना क्षेत्र वार मिले शवों की संख्या
थाना अज्ञात शवों की संख्या
औरैया 07
अजीतमल 04
बिधूना 10
फफूंद 09
अछल्दा 03
बेला 01
सहायल 01
एरवाकटरा 00
अयाना 00
दिबियापुर 10 क्या कहते हैं जिम्मेदार
विसरा सुरक्षित कर प्रयोगशाला भेज दिया है। यह जरूर है कि रिपोर्ट देरी से आने पर विवेचना भी प्रभावित होती है। हाईप्रोफाइल मामले में पत्र लिखकर जल्द रिपोर्ट मंगवाई जाती है। - सुनीति, एसपी