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बड़ों का आदर करना ही वास्तविक संस्कार

जागरण संवाददाता औरैया शहर के जालौन चौराहा स्थित पीबीआरपी एकेडमी में दैनिक जागरण सं

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 11:28 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:00 AM (IST)
बड़ों का आदर करना ही वास्तविक संस्कार
बड़ों का आदर करना ही वास्तविक संस्कार

जागरण संवाददाता, औरैया: शहर के जालौन चौराहा स्थित पीबीआरपी एकेडमी में दैनिक जागरण संस्कारशाला का आयोजन हुआ। इसमें शिक्षकों ने बताया कि बड़ों का आदर करना ही वास्तविक संस्कार हैं। अच्छे गुणों और संस्कारों के बदौलत ही हम पहचाने जाते हैं। हमारे देश की संस्कृति यहां के संस्कारों की बदौलत पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस दौरान शिक्षकों ने दैनिक जागरण में छपी प्रेरणादायक कहानी को पढ़कर सुनाया। इसके बाद बच्चों से प्रश्न किए तो बच्चों ने उत्साहपूर्वक सभी प्रश्नों के उत्तर दिए।

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पीबीआरपी एकेडमी में हाईस्कूल कक्षा में शिक्षिका किरन चौहान ने दैनिक जागरण में छपी कहानी बड़ों के प्रति रखे आदर व प्रेम भाव पढ़कर सुनाई। शिक्षिका ने बताया कि बड़ों का आदर करना अगर हम नहीं सीखे तो समझिए यह पढ़ाई लिखाई सब व्यर्थ है। बिना संस्कारों के शिक्षा अधूरी है। आदर व प्रेम भाव ही सबसे पहला संस्कार है। इसे जरूर ग्रहण करना चाहिए। हमारी संस्कृति इसलिए ही विश्व में जानी जाती है कि हमारे देश के नागरिक संस्कार युक्त हैं। जिस दिन हमारे संस्कार खत्म हो जाएंगे उस दिन देश की संस्कृति नष्ट हो जाएगी। अंतरिक्ष के दादा-दादी की कहानी सुनाकर उन्होंने बताया कि किस प्रकार अंतरिक्ष के माता पिता ने उसको संस्कार दिए थे। विदेश से आए दादा-दादी का सम्मान अंतरिक्ष ने इस तरह किया कि दादा-दादी बच्चों के सामने बच्चे बन गए। शिक्षिका ने कहानी के बाद प्रश्न पूछे। माही, आर्यन, श्रेया, अनन्या पाठक, मयंक ने उनके सही जवाब दिए। इस मौके पर प्रधानाचार्य नीलमणि दास, अनुग्रह प्रताप सिंह व निर्मल कुमार मौजूद रहे।


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