दूसरे जनपदों में सब्जी की खेप जाने से दामों में इजाफा
जागरण संवाददाता औरैया कोरोना को लेकर लगाए गए लॉकडाउन में सब्जियां कौड़ियों के दाम
जागरण संवाददाता, औरैया : कोरोना को लेकर लगाए गए लॉकडाउन में सब्जियां कौड़ियों के दाम बिकती रही है। जिससे लॉकडाउन के समय किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी थी, लेकिन अब अनलॉक-1 में जिले के किसानों की सब्जी की खेप पड़ोसी जिलों कानपुर व इटावा की मंडियों में जाने लगी है। सब्जियों के गिरे दामों के चलते लागत न निकाल पाने से हताश किसानों को अब मुनाफे के आसार दिखने लगे हैं।
लॉकडाउन में हरी सब्जियों में टमाटर, बैगन, पालक, लौकी, तोरई, मूली व करेला समेत सभी सब्जियां दस रुपये के भाव से बिकी है। वहीं कुछ तो पांच रुपये थोक तक में बिक्री हुई थी। जिससे मंडी में सब्जी ले जाने पर किसानों को भाड़े तक के रुपये जुटाना मुश्किल पड़ रहा था। कुछ किसानों ने तो मजबूरन खुद ही सब्जी की रैहड़ी लगाना शुरु कर दिया था। वहीं जब लॉकडाउन में लॉक हुई गैर जनपद में सब्जी की जाने वाली खेप अनलॉक-1 में चालू हुई है, तो सब्जी के दाम बढ़ने से सब्जी उत्पादक किसानों की मुनाफे की आस जाग गई है। इन दिनों टमाटर भी 15 रुपये के भाव से बिकने लगा है, जो लॉकडाउन में पांच रुपये के भाव से बिका था। वहीं किसानों को मंडी में 300 रुपये क्विटल की जगह अब 1200 रुपये क्विटल का थोक भाव मिलने लगा है। बैगन भी 25 रुपये किलो के फुटकर भाव से बिकने लगा है। जिससे किसानों को मंडी में 2200 रुपये क्विटल का भाव मिल रहा है। मूली 20 रुपये के भाव से बिकने लगी है। जो लॉकडाउन भर पांच रुपये के भाव से बिकी है।
वहीं बैगन तो 25 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। वहीं प्याज व लहसुन की दूसरे प्रांतों को खेप जानी शुरु हो गई है। जिससे पांच रुपये किलो बिकने वाला प्याज अब 15-18 रुपये तक में बिक रहा है। वहीं लहसुन भी 100 रुपये किलो के भाव को छू गया है।
क्या बोले सब्जी उत्पादक किसान
दयालपुर निवासी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि लॉकडाउन में उन्हें भाड़ा जुटाना भी मुश्किल पड़ रहा था। लेकिन अब जब सब्जियों ने गर्मी पकड़ी है तो मुनाफे आसार नजर आने लगी है। पांच बीघा खेत में टमाटर, बैगन व मूली तैयार की थी। अप्रैल से सब्जी की खेप निकलने लगी थी, लेकिन भाव न मिलने से लागत निकालना मुश्किल पड़ रहा था। अब दामों में थोड़ा इजाफा हुआ है। अंतिम समय में अच्छा भाव मिल गया तो मुनाफे भी निकलने के आसार है।
सहायल निवासी मुरारी कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने पांच बीघा खेत में लौकी, तोरई, पालक करेला व मिर्च लगाई थी। पूरा सीजन पांच से दस रुपये का भाव मिला है। जिससे कीटनाशक, निराई, गुड़ाई व खेत में पानी से हुए खर्च को निकालना मुश्किल रहा था। लेकिन अब दो-तीन दिनों से सब्जी में सुर्खी आई है। हालांकि अब सीजन जा रहा है। लेकिन अंतिम समय दाम अच्छे मिल गए तो लागत समेत मुनाफा भी निकल आएगा।
इनसेट:
अभी तक जनपद के किसानों की सब्जी की खेप जिले में ही खपाई जा रही थी। दूसरे जिलों कानपुर व इटावा को खेप नहीं जा रही थी। जिससे मंडी में अधिक आवक होने के चलते सब्जी में सस्ता चल रहा था। अब गैर जनपद को खेप जाने लगी है, तो दामों इजाफा होना शुरु हो गया है।
राजेश, मंडी सचिव