पचनद की अपनी महत्ता, जल संरक्षण को मिलेगा बल
जागरण संवाददाता औरैया प्राचीन काल से ही मानव जीवन में नदियों का विशेष महत्व रहा है। यह
जागरण संवाददाता, औरैया : प्राचीन काल से ही मानव जीवन में नदियों का विशेष महत्व रहा है। यही वजह रही कि मानव सभ्यता का विकास नदियों के पावन तट पर हुआ। पांच नदियों के संगम पर पचनद की अपनी महत्ता है। अत्यंत प्राचीन मंदिर एवं पुराणों में भी इस क्षेत्र का इसका उल्लेख मिलता है। इस क्षेत्र का केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि पर्यावरणीय महत्व भी बहुत अधिक है। यह क्षेत्र विलुप्त प्राय परिदों को सुरक्षित प्रवास भी देता है।
इस क्षेत्र में निर्जनता व नीरवता की वजह से शीत ऋतु में साइबेरिया तक के दुर्लभ प्रजाति के सैलानी पक्षी अपना डेरा डालते हैं। अबकी बार मेहमान परिदे अपने साथ सुखद स्मृतियां लेकर जाएंगे और वह अगले वर्ष अधिक से अधिक संख्या में में यहां आएंगे। पचनद बांध से बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त क्षेत्र समेत जनपद एवं कानपुर देहात को भी लाभ होगा।
- डा. शशि शेखर मिश्रा, प्रवक्ता जनता इंटर कॉलेज अजीतमल
पचनद बांध बन जाने से इस क्षेत्र में में हरियाली को भी विस्तार प्राप्त होगा। बीहड़ों में पुन: वन क्षेत्र निर्मित होगा। जिससे बड़ी मात्रा में कार्बन डाइ आक्साइड का अवशोषण होगा। यह बांध पर्यावरण की दृष्टि से व्यापक परिवर्तन लाएगा। पर्यटन के क्षेत्र का भी विस्तार होगा। जिससे रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
- उपेंद्र पांडेय एडवोकेट पचनद बांध से भूमिगत जल स्तर बढ़ेगा। साथ ही साथ जल के दोहन में भी कमी आएगी। बहुमूल्य भूगर्भ जल के संरक्षण में मदद मिलेगी। बांध बनाकर नहर के जरिए कृषि भूमि की सिचाई होने से गिरते भूजल स्तर में कमी आएगी। जल संरक्षण को मदद मिलेगी। यह योजना क्षेत्र के विकास में सहायक सिद्ध होगी।
- अंजनी कटियार, जल संरक्षण प्रमुख कानपुर प्रांत वर्ष 1978 में केंद्र सरकार ने चंबल के अपवाह क्षेत्र में वाट सेंचुरी बनाई। मगरमच्छों, घड़ियालों व कछुओं के संरक्षण एवं संवर्धन का प्रयास किया जाना था। उन्हें विस्तृत क्षेत्र की प्राप्ति होगी। पचनद बैराज परियोजना आरंभ होने से यह क्षेत्र जल संपन्न हो जाएगा। पर्यावरण की दृष्टि से एक संतुलन निर्मित होगा। इस बांध से 64 हजार हेक्टेयर असिंचित भूमि सिचित होगी।
- राजेंद्र शुक्ला