ध्रुव की कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध
जागरण संवाददाताऔरैयाभूतेश्वर मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य ने ध्रुव कथा सुना
जागरण संवाददाता,औरैया:भूतेश्वर मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य ने ध्रुव कथा सुनाई। कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। आचार्य ने कहा कि सुख हो या फिर दुख भगवान को याद करना कभी नही भूलना चाहिए वही आपके संकट में साथ देगा।
ध्रुव कथा कहते हुए आचार्य सुखदेव जी ने बताया कि महाराज उत्तानपाद की दो रानियां थी, उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति तथा छोटी रानी का नाम सुरुचि था। सुनीति से ध्रुव तथा सुरुचि से उत्तम नाम के पुत्र पैदा हुए। महाराज उत्तानपाद अपनी छोटी रानी सुरुचि से अधिक प्रेम करते थे और सुनीति प्राय: उपेक्षित रहती थी। इसलिए वह सांसारिकता से विरक्त होकर अपना अधिक से अधिक समय भगवान के भजन पूजन में व्यतीत करती थी। एक दिन बड़ी रानी का पुत्र ध्रुव अपने पिता महाराज उत्तानपाद की गोद में बैठ गया। यह देख सुरुचि उसे खींचते हुए गोद से उतार देती है। इसके बाद मां के कहने पर पांच वर्ष का बालक ध्रुव वन की ओर चल पड़ा और तपस्या की। इसके बाद भगवान ने दर्शन दिए और भगवान ने राज करने का वरदान दिया। कथा सुनने कई दूर दराज से श्रद्धालु आ रहे है।