अपनी गोद में आजाद को छिपाए रही औरैया
जागरण संवाददाता, औरैया: औरैया में क्रांतिकारी तो पैदा ही हो रहे थे, यह बड़े क्रांतिका
जागरण संवाददाता, औरैया: औरैया में क्रांतिकारी तो पैदा ही हो रहे थे, यह बड़े क्रांतिकारियों की शरण स्थली भी रही है। यहां के लोगों का सहयोग ऐसा की, यहां लोग महीनों रहते थे और पुलिस को भनक नहीं लगती थी। क्रांतिकारियों का केंद्र रहे बिठूर और झांसी के बीच स्थित तब इटावा की इस तहसील क्षेत्र ने चंद्र शेखर आजाद को महीनों छिपाए रखा। उस समय काकोरीकांड के बाद पूरे देश की अंग्रेज पुलिस आजाद के पीछे पड़ी थी।
9 अगस्त 1925 को काकोरी खजाना लूट में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, रोशन ¨सह, चंद्र शेखर आजाद के साथ औरैया के क्रांतिकारी भारतवीर मुकंदी लाल गुप्ता भी शामिल थे। जब भारी खजाने को लेकर भागने की बात आई तो भारतवीर ने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और कई किलोमीटर खजाने को लेकर जंगल में भागते रहे। पीछे पड़े अंग्रेज उन्हें पकड़ नहीं पाए। इस घटना ने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया। पूरे देश में इन लोगों की गिरफ्तारी के लिए अभियान चला। सभी क्रांतिकारी सुरक्षित ठिकाने की तलाश में थे। उस समय औरैया ने चंद्र शेखर आजाद को शरण दी। बाकी क्रांतिकारी तो पकड़े गए, लेकिन आजाद उनके हाथ नहीं आये।
औरैया क्रांतिकारियों की विरासत सहेज रहे भारत प्रेरणा मंच के महासचिव अवनीश अग्निहोत्री का कहना है कि काकोरी कांड के बाद भारतवीर मुकंदी लाल गुप्ता के सहयोग से आजाद यहां रहे। वह दिबिया रोड पर नरायनपुर तिराहे के पास एक झोपड़ी में हरिश्चंद्र के नाम से रहे। इस दौरान मुकंदीलाल गुप्ता उनका सहयोग करते रहे। बाद में आजाद यहां से झांसी चले गए।