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अलविदा 2020 : लॉकडाउन की जंजीरों में अपराधी भी कैद हुए

अर्पित अवस्थी औरैया कोरोना वायरस की महामारी को कोई भी नहीं भुला पाएगा। व्यापारिक से लेक

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 06:10 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 06:10 PM (IST)
अलविदा 2020 : लॉकडाउन की जंजीरों में अपराधी भी कैद हुए
अलविदा 2020 : लॉकडाउन की जंजीरों में अपराधी भी कैद हुए

अर्पित अवस्थी, औरैया

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कोरोना वायरस की महामारी को कोई भी नहीं भुला पाएगा। व्यापारिक से लेकर हर वर्ग के लोगों को घरों में कैद रहना पड़ा। मार्च से शुरू हुआ कोरोना काल पूरे वर्ष रहा। लोगों के सामने दो जून की रोटियां खाना भी मुश्किल हो गया। कोरोना का असर अपराध पर भी देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन की जंजीरों में अपराधी कैद होते नजर आए। इसकी मुख्य वजह सड़क पर पुलिस की मौजूदगी, जगह-जगह लगाई गई पिकेट और अधिक पेट्रोलिग है। लॉकडाउन खुलने के बाद एक बार फिर से पुलिस और अपराधियों के बीच लुकाछुपी का खेल चलने लगा।

कोरोना महामारी ने पूरे देशवासियों को 23 मार्च के बाद से घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था। धार्मिक कार्यक्रम, बच्चों की पढ़ाई भी पूरे साल प्रभावित रही। सड़कों पर पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी नजर आ रहे थे। सड़कों पर क‌र्फ्यू की स्थिति बनी हुई थी। कई लोगों को रोजगार चले गए थे। लॉकडाउन की अवधि में अपराधियों को भी कैद कर दिया था। वैसे पुलिस लाख प्रयास कर ले, लेकिन क्राइम पर कंट्रोल नहीं कर पाती है। अपराध बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। कोरोना संक्रमण की बेढि़यों से अपराधी भी अछूते नहीं रहे। यहां तक कि हत्या, लूट, डकैती जैसे संगीन मामले भी न के बराबर हुए। हांलाकि छुटपुट घटनाएं हुई। 16 मई का दिन कोई नहीं भुला पाएगा

कोरोना महामारी को लेकर लगाए गए लॉकडाउन के दौरान 16 मई की भोर सभी को याद रहेगी। इस दिन सदर कोतवाली के मिहौली गांव के पास एक ट्रक ट्राला से टकरा गया था। जिसमें 26 प्रवासी मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 35 लोग घायल हो गए थे। इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मृतक के आश्रितों को दो-दो लाख व घायलों को पचास हजार रुपये की आर्थिक मदद दी थी। साथ ही अनंतराम टोल प्लाज पर भी सक्रियता बढ़ाई गई थी। महिला अपराध में भी आई कमी

कोरोना काल में महिलाओं के खिलाफ अपराध में भी कमी आई है। पिछले साल मई तक 765 मामले दर्ज हुए थे, जबकि इस बार मई तक 382 मामले दर्ज हुए। वाहन चोरी के मामलों में भी कमी आई है। पिछले साल 15 मार्च से 31 मार्च के बीच वाहन चोरी के 164 मामले दर्ज हुए थे, वहीं इस साल इसी अवधि के दौरान 52 मामले दर्ज हुए। शून्य हुए अपहरण के मामले

हालांकि छुटपुट मामले तो हुए। अब भी न के बराबर ही रहे। लॉकडाउन के दौरान मार्च से मई माह तक एक भी अपहरण का मामला दर्ज नहीं हुआ। जबकि हत्या के दस, दुष्कर्म के पांच, हत्या के प्रयास के 20 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं डकैती एक भी घटना नहीं घटित हुई। सड़क हादसे में भी गिरावट देखने को मिली। लॉकडाउन के दौरान नियमों का अनुपालन कराने के लिए पुलिस की मौजूदगी सड़क पर अधिक रही। पुलिस ने लॉकडाउन का पालन कराने के लिए पेट्रोलिग भी अधिक की गई। बॉर्डर भी सील रहे और कड़ाई से चेकिग भी की गई। इस वजह से अन्य राज्यों के अपराधी जो आराम से जनपद में प्रवेश कर जाते थे और वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते थे, वह भी प्रवेश नहीं कर सके। वर्जन -

जिस समय लोग घरों में कैद थे, उस समय पुलिस की सक्रियता बढ़ी थी। चौराहे से लेकर प्रमुख मार्गो पर पुलिस तैनात रही। यही कारण रहा था कि क्राइम के ग्राफ में गिरावट आई थी।

कमलेश दीक्षित ,एएसपी


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