कोरोना काल में बढ़ी खूब बिक रहे मिट्टी के घड़े
जागरण संवाददाता औरैया कोविड काल ने लाइफ स्टाइल को पूरी तरह से बदल दिया है। इस बदली ला
जागरण संवाददाता, औरैया: कोविड काल ने लाइफ स्टाइल को पूरी तरह से बदल दिया है। इस बदली लाइफ में लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है। उनकी सेहत न बिगड़े और वह कोरोना से बचे। इसके लिए चिकित्सकों के साथ शासन की गाइडलाइन का अनुपालन करना शुरू किया है। इन सब के बीच लोगों ने गले को तर करने के लिए फ्रीज के ठंडे पानी को छोड़ देशी फ्रीज कहे जाने वाले मिट्टी के घड़ों के पानी को ज्यादा पसंद कर रहे। जिस कारण घड़ों की डिमांड गर्मी में और ज्यादा बढ़ गई है। मिट्टी के घड़े व सुराही की खरीदारी के लिए सड़क किनारे लगने वाली बाजार में हर दिन भीड़ बढ़ रही है। हर दिन 50 से 70 घड़े बिक रहे। शहर के मोहल्ला दयालपुर, जमालशाह, खानपुर में मिट्टी से घड़े बनाने का काम पुश्तैनी हैं। मिट्टी के अन्य वर्तन बनाने के साथ-साथ घड़ों का भी कारोबार वर्षों से हो रहा है। लेकिन पिछली कोविड लहर में देशी फ्रिज कहे जाने वाले घड़ों की मांग बढ़ी। इसके बाद बालू व मिट्टी से तैयार मटकों की संख्या भी बढ़ा दी। दयालपुर के संतोष, मुकेश, राजू, भूरे, छोटे का कहना है कि इस वर्ष भी उन्होंने पांच सौ से अधिक घड़े तैयार किए। सभी की बिक्री हो चुकी है। उनके यहां से जालौन, कानपुर देहात आदि के फुटकर दुकानदार भी ले जाते हैं। कोविड काल में चूंकि इलेक्ट्रानिक उपकरण फ्रीज का पानी चिकित्सकों ने रोक रखा है। इसलिए घड़ों का पानी भी लोगों की सेहत के लिए बेहद मुफीद भी है।
----- टोंटीदार घड़े की कीमत ज्यादा
एक टोंटीदार घड़े की कीमत से 100 से 120 रुपये है। सादा घड़े की कीमत 50 से 80 रुपये है। ग्राम कनौती में भी बानेश्वर दयाल के यहां पीढि़यों से यह काम होता चला आ रहा है। पिछले वर्ष भी उन्होंने करीब 500 घड़े तैयार किए थे। इस साल भी कोरोना काल में 250 घड़े तैयार कर लोगों को दे चुके हैं। चिकनी मिट्टी की आपूर्ति होने में परेशानी आ रही है। सामाजिक संगठनों की ओर से भी मांग की जा रही है।