न गिरने दो भूगर्भ जलस्तर,नहीं तो जीवन हो जाएगा तितर-बितर
जागरण संवाददाता औरैया 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस है। धरातल की सुरक्षा व इसकी बेहतरी के लि
जागरण संवाददाता, औरैया: 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस है। धरातल की सुरक्षा व इसकी बेहतरी के लिए प्रकृति की अनमोल धरोहरों को सहेज कर रखना बेहद जरूरी हो चुका है। क्योंकि, गिरता जल स्तर न संभाला गया तो पृथ्वी सूख जाएगी और उपजाऊ मिट्टी बंजर में तब्दील हो जाएगी। इससे पहले जागरूक हो लेना ही सही होगा। कुछ ऐसी ही सीख नौनिहाल व बड़े बच्चों को शिक्षक 22 अप्रैल को मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस के तहत वर्चुअल क्लास में दे रहे हैं। विभिन्न दुर्लभ चित्रों व संदेशों के माध्यम से धरातल के साथ प्रकृति की धरोहरों पेड़-पौधे, जल, वायु के प्रति देश के भविष्य को जागरूक कर रहे हैं।
कोरोना काल की वजह से शिक्षण संस्थान बंद हैं। शिक्षक से लेकर कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम हैं। ऐसे में देश के भविष्य की शिक्षा पर कोई असर न पड़े। इसके लिए घर बैठे शिक्षक उन्हें वर्चुअल क्लास से जोड़ते हुए पढ़ा रहे। पुस्तकों का अध्ययन कराते हुए उन्हें रोज होमवर्क दिया जा रहा है। जिसे जांचने का कार्य भी ऑनलाइन शिक्षक कर रहे हैं। इस कवायद में शिक्षक कोरोना के प्रति बच्चों को जागरूक करते हुए प्रकृति की धरोहरों के प्रति उन्हें सजग भी कर रहे। पर्यावरण का संतुलन क्यों जरूरी है। इसके बिगड़ने से मानव जीवन व पशु-पक्षी पर क्या असर पड़ेगा। धरती पर जल संकट न हो, इसके लिए क्या जतन किए जा सकते हैं। इन सारी बातों को समझाने का प्रयास भी शिक्षक ऑनलाइन कर रहे हैं। वह दुर्लभ चित्रों के जरिये बच्चों को समझा रहे हैं कि वह कैसे पानी की हर एक बूंद को किस तरह संजो सकते हैं।