सरकारी इमदाद न मिलने से बाढ़ पीड़ितों की दिवाली रहेगी फीकी
संवाद सहयोगी अजीतमल यमुना की बाढ़ में सब कुछ गंवा चुके परिवारों की खुशियां वापस नहीं अ
संवाद सहयोगी, अजीतमल: यमुना की बाढ़ में सब कुछ गंवा चुके परिवारों की खुशियां वापस नहीं आ रही हैं। दीपावली का त्योहार नजदीक है। घर में बच्चे नए कपड़े व आतिशबाजी मांग रहे हैं। लेकिन घरों में तो चूल्हे जलने के भी लाले है। ऐसे में कपड़े और पकवान तो दूर की बात हैं। मुआवजा देने में प्रशासन की देरी अब इन परिवारों पर भारी पड़ रही है।
जागरण ने सिकरोड़ी गांव के पीड़ितों का हाल जाना। बाढ़ के बाद गांव के बाहर वृद्धा रामवती अभी भी तंबू लगाकर रह रही हैं। उसका कच्चा मकान गिर चुका है। वह बोली आप लोग आए हम सोचे कि कोऊ सहायता देन आओ है। आगे बढ़े तो खेतों पर जा रहे श्याम सिंह ने बताया कि घर तो बच गया। लेकिन फसल चौपट हो गई। दीपावली की तैयारी नहीं हो पा रही है। दीपावली मनाने को मिठाइयां खरीदें या रबी की फसल के लिए तैयारी करें समझ में नहीं आ रहा। गांव में घुसते ही गलियां तो कुछ साफ नजर आ रही थीं। बाढ़ में तहस नहस हो चुकी झोपड़ियां अब व्यवस्थित हो चुकी थीं। इन्हें संभालने में कुछ महिलाएं और बच्चे भी जुटे थे। राधारानी अपने घर की कच्ची दीवार में मिट्टी लगा रही थीं। बोलीं दीपावली है सोचा कुछ इसी तरह से व्यवस्थित कर लू जिससे ठीक लगने लगे। प्रशासन ने अभी तक मदद नहीं की। बाढ़ से खराब हो चुकी दीवारों पर श्यामले चूने से पुताई कर रहा था। गांव के बृजनंदन, फूलन, योगेन्द्र, रामकिशोर , सियाराम आदि का भी यही हाल था। दीपावली है तो किसी प्रकार घर सजाने में लगे थे। बयान
शासन को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। कुछ पीड़ितों के खातों में रुपये आने लगे हैं। दीपावली तक सभी के खाते में रुपये आ जाने की उम्मीद है। फसल नुकसान के लिये डिमांड भेजी जा चुकी है। स्वीकृति मिलते ही पीड़ितों के खातों में राहत राशि भेजी जाएगी।
संध्या शर्मा, तहसीलदार