Move to Jagran APP

बीहड़ के गांव में दिखा लोकतंत्र,फ‌र्स्ट डिवीजन पास

हिमांशु गुप्ता औरैया कभी डाकुओं के फरमान से आतंकित रहने वाला बीहड़ और 1984 में ड

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 11:46 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 11:46 PM (IST)
बीहड़ के गांव में दिखा लोकतंत्र,फ‌र्स्ट डिवीजन पास
बीहड़ के गांव में दिखा लोकतंत्र,फ‌र्स्ट डिवीजन पास

हिमांशु गुप्ता ,औरैया: कभी डाकुओं के फरमान से आतंकित रहने वाला बीहड़ और 1984 में डाकुओं के नरसंहार का शिकार हुए अस्ता गांव में लोकतंत्र जाग उठा। बीहड़ के मतदाताओं ने जमकर वोटिग की। यहां अब न डर दिखा न खौफ। सिर्फ लोकतंत्र को जिदा रखने की ललक सामने दिखी। तीन बजे तक कई बीहड़ के गांव थे जहां पर 60 फीसद मतदान हो गया था।

loksabha election banner

कई दशक तक डाकुओं के खौफ में रहे बीहड़ में लोकतंत्र नहीं चल सका। मतदान हुआ तो डाकुओं के फरमान से। इसके अलावा 1984 में अस्ता गांव में डाकुओं ने बेहमई नरसंहार का बदला लेने के लिए 14 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था और आग लगा दी थी। आज इतने सासल बाद इस गांव में लोकतंत्र जिदा दिखाई पड़ा। इस गांव में 410 मतदाता है। और 285 मत पड़े। गांव में मतदान के बाद चर्चा में ग्रामीण सुभाष चंद्र व ध्यान सिंह राम लाल बताते है कि अब लोकतंत्र को बनाने के लिए वह मतदान करते है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही उनके गांव की बदहाली दूर हो सकती है। इसके साथ ही बीहड़ के अन्य गांव कैथोली में तीन बजे तक 550 में 287,असेवटा में 510 में 262, असेवा में 660 में 389 व तिवरलालपुर में 550 में 292 वोट पड़े,जुहीखैा में 789 में 405 तथा बबाइन में 455 वोट पड़े। बीहड़ के गांव में लोकतंत्र दौड़ता रहा। बबाइन में चौपाल लगाए बैठे ग्रामीण जितेंद्र, अश्वनी सिंह,श्रीराम शर्मा ,यशपाल व फूल सिंह सेंगर ने बताया कि अब गांव में कोई फरमान नही आता। बल्कि अब देश के विकास पर वोट पड़ता है। हम लोग खुलकर मतदान करते है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.