औरैया को अब चाहिए मॉडल बस डिपो
जागरण संवाददाता औरैया शहर का बस डिपो आय में हीरो है मगर सुविधाओं में जीरो साबित
जागरण संवाददाता, औरैया : शहर का बस डिपो आय में हीरो है मगर सुविधाओं में जीरो साबित हो रहा है। हर रोज नौ लाख रुपये की आमदनी हो रही है। इसके बाद भी सुविधाएं नदारत। सालों से मांग हो रही है मगर हर बार टाल मटोल कभी जगह तो कभी न्यायालय का पचड़ा। हालत यह है कि यहां पर डिपो में एनटीपीसी व गेल भी सुविधाएं देने को तैयार थी मगर जगह न होने के कारण कुछ नहीं हो सका। सड़क यातायात के भरोसे शहर के लोगों को मुसीबतें झेलनी पड़ रहीं है। गंदगी में घुसकर डिपो पहुंचे और सड़कों पर खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ता है।
नौ लाख रुपया प्रतिदिन की आमदनी वाले डिपो की हालत देखकर यह नहीं लगेगा कि यह डिपो है। डिपो में इतनी जगह भी नहीं कि बसे खड़ी हो जाए सड़क घेरकर बसें खड़ीं होती हैं। सालों से लोग नया बस अड्डा बनवाने को मुखर है मगर कोई सुनने वाला नहीं है। हालत यह है कि यहां एक भी एसी बस नहीं है। जनरथ का स्टाप इसलिए नहीं दिया गया कि खड़ी कहां होगा। अब खटारा बसों में यात्रा करना मजबूरी हो गई है। अब फिर से डिपो बनवाने की आवाज मुखर हुई है।
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संघर्ष समिति ने सौंपा था प्रस्ताव
समिति के संयोजक सदस्य अभिषेक शुक्ल एडवोकेट ने बताया कि जुलाई 2018 में क्षेत्र की पांच जगहों को चिह्नित कर तत्कालीन एडीएम विजय बहादुर सिंह को सौंपा था। इसमें पुराना नुमाइश मैदान, यमुना रोड स्थित स्वर्ण चित्रलोक के सामने, नगर पालिका की नुमाइश मैदान के लिए चिह्नित तालाब, पक्का तालाब के पीछे झाबर, मिर्जापुर कोठी के पास नहर विभाग की करीब छह एकड़ जगह। इन जगहों पर प्रशासन ने कुछ पहल नहीं की। इसलिए फिर से संघर्ष की जरूरत आन पड़ी है।
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लेखपालों की हड़ताल खत्म ही होगी पैमाइश
एआरएम आरएस चौधरी ने बताया कि अपर जिलाधिकारी से उनकी वार्ता हुई थी। डिपो की जगह को लेकर विस्तृत बात हुई थी। लेकिन लेखपालों की हड़ताल की वजह से आगे कार्रवाई नहीं हो सकी। हड़ताल समाप्त होने पर दिशा निर्देश का पालन किया जाएगा।
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हम भी करेंगे पहल
सदर विधायक रमेश दिवाकर ने बताया कि डिपो की जगह के लिए वह प्रयासरत हैं। जिला प्रशासन एवं प्रदेश शासन से जहां जितनी मदद होगी उसमें वह सहयोग करेंगे। लोगों की बात :
सौन्दर्य प्रशाधन के खरीदारी के लिए उन्हें आगरा व कानपुर जाना पड़ता है। डिपो से सुरक्षित व सुविधाजनक बसें न होने की वजह से प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। इसके अलावा यदि परिवार सहित लखनऊ, बनारस, इलाहाबाद, झांसी, ग्वालियर आदि शहरों तक जाने के लिए एसी बसों की सुविधा नहीं है। डिपो से यह सुविधा मुहैया होना बहुत जरूरी है। महावीर गहोई, सौन्दर्य प्रसाधन विक्रेता वादकारियों व अधिवक्ताओं के आवागमन के लिए डिपो से इलाहाबाद के लिए सीधी सेवा नहीं है। ट्रेनों की लेटलतीफी की वजह से समय से पहुंचना मुश्किल हो जाता है। प्रतिदिन यात्रा के साथ इलाहाबाद से प्रति शनिवार एक सैकड़ा वकील इलाहाबाद से चलकर इटावा मैनपुरी तक जाते व आते हैं। उन्होंने भी कई बार एसी बस सुविधा न होने की पीड़ा व्यक्त की।
सुरेंद्र नाथ शुक्ल एडवोकेट