अमावता में अनशनकारियों को मनाने पहुंचे एसडीएम
संवाद सूत्र, अटसू : अमावता में नहर पुल निर्माण में निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर अनशन पर बैठ
संवाद सूत्र, अटसू : अमावता में नहर पुल निर्माण में निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर अनशन पर बैठे ग्रामीणों को मनाने गुरुवार को एसडीएम मौके पर पहुंचे। लेकिन अनशनकारी अपनी जिद पर अड़े रहे। उन्होंने अनशन समाप्त नहीं किया।
क्षेत्र के गांव अमावता के ग्रामीण ने गत 21 मार्च से अनशन पर बैठे हैं। अनशनकारियों ने मांगे न माने जाने पर आत्मदाह की चेतावनी दी थी। इसके चलते उपजिलाधिकारी विजय प्रताप ¨सह, सीओ लालता प्रसाद शुक्ला, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक जितेन्द्र कुमार सहित पुलिस बल व राजस्व टीम के साथ अमावता पहुंचे। अनशनकारियों को मनाने की कोशिश की और जेई को मौके पर बुलाया। लेकिन जेई ने मौके पर आना उचित नहीं समझा। अनशनकारियों का आरोप है कि गांव के अन्दर कुछ मकानों को तो तोड़ दिया गया। लेकिन कई मकान रास्ता बनाने में बाधक हैं। वहीं घटिया निर्माण सामग्री लगाई जा रही है। इससे पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है। मानकों का बोर्ड आज तक नहीं लगाया गया। अनशनकारी अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने अनशन समाप्त नहीं किया।
क्या है पूरा मामला
बाबरपुर से सिकरोड़ी तक आठ किलोमीटर लम्बे मार्ग बनाया जा रहा है। इस मार्ग के पूरा होते ही बाबरपुर से मध्य प्रदेश के ग्वालियर आना-जाना सुगम हो जायेगा। इस मार्ग निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल किये जाने का आरोप ग्रामीण लगा रहे हैं। वहीं अमावता नहर पुल के निर्माण में कर्व न होने तथा निर्माण में मानक के अनुरूप सामग्री इस्तेमाल न किए जाने के आरोप लगाते हुए प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार शिकायत की थी। सुनवाई न होने पर बीती 11 फरवरी को ग्रामीणों ने मांगों को रखते हुये अनशन शुरू कर दिया था। गत 14 फरवरी को तत्कालीन अपरजिलाधिकारी ने मामले की जांच एचबीटीआई से कराये जाने का आश्वासन दिया था। एडीएम ने निर्माणदायी संस्था द्वारा कार्य के बारे में स्पष्ट लिखाये जाने का भरोसा दिया था। इसके बाद ग्रामीणों ने अपना अनशन समाप्त कर दिया था। गत 18 मार्च को एचबीटीआई की टीम अमावता में जांच करने पहुंची थी। लेकिन जांच टीम के साथ ठेकेदार और स्थानीय अधिकारियों को देख ग्रामीणों ने निष्पक्ष जांच पर सवाल खड़ा कर दिया था। इसके बाद बीती 21 मार्च से फिर अनशन शुरू हो गया।
निर्माण रुका, सूख रहा तालाब
अमावता में अनशनकारियों से जांच पूरी होने तक मार्ग व नहर पुल का निर्माण कार्य तो प्रशासन ने रूकवा दिया। मार्ग में पड़ने वाली पुलियों के निर्माण को प्रशासन ने नहीं रोका था। लेकिन ठेकेदार द्वारा पुलियों का निर्माण भी रोक दिया गया। ग्रामीणों की मानें तो गांव में स्थित तालाब में धूल उड़ रही है। इस तालाब में नहर से होता हुआ गांव का पानी जाता है। इसमें पशु पक्षी, आदि गर्मी में अपनी प्यास बुझाते हैं। लेकिन पुलियों के निर्माण न होने से गांव का पानी भी तालाब में नहीं पहुंच पा रहा है। गलियों में बहकर बर्बाद हो रहा है।