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हमेशा कुल्हाड़ी लेकर चलता था छिद्दा

अपनों को छोड़ बीहड़ के जंगल में

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 09:26 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 09:26 PM (IST)
हमेशा कुल्हाड़ी लेकर चलता था छिद्दा
हमेशा कुल्हाड़ी लेकर चलता था छिद्दा

हमेशा कुल्हाड़ी लेकर चलता था छिद्दा

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जितेंद्र कुमार , औरैया: अपनों को छोड़ बीहड़ के जंगल में अपनी पटकथा लिखने वाला बीहड़ का डकैत छेदा सिंह उर्फ छिद्दा लालाराम की गैंग का सक्रिय सदस्य था। उसके हाथ में असलहा की जगह हमेशा कुल्हाड़ी रहा

करती थी। जिससे वह खुद को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त समझता था। लगभग 20 वर्ष पहले अयाना के बीहड़ी क्षेत्र बबाइन के जंगल में पुलिस ने पूरी गैंग को घेरा था। पूरे दिन गोलियों की गूंज बीहड़

में गूंजी। उस समय दस्यु सुंदरी सीमा परिहार भी लालाराम गैंग का हिस्सा थी। मुठभेड़ में जान बचाकर भागे डकैतों में दो लोगों को रम्पुरा गांव समीप पकड़ा गया था।

भासौन गांव को छोड़ बीहड़ से नाता जोड़ने वाले छेदा सिंह को पुलिस ने रविवार को हिरासत में लिया। सेहत ठीक न होने पर वह चित्रकूट धाम से अपनों के पास आया था। बीहड़ का डकैत 24 वर्ष बाद

पकड़े व सामने आने पर हर किसी की जुबां पर यही था कि ‘हम तो समझे थे कि छिद्दा मर चुका है’। यह तो गजब हो गया। ग्रामीणों के बीच चर्चाएं शुरू हो गईं। जुबां पर अलग-अलग कहानियां भी रही । जिसे कई कानों ने सुना। गांव के बुजुर्गों के मुताबिक छिद्दा अपने साथ हमेशा एक कुल्हाड़ी रखता था। वही उसका सुरक्षा कवच था। 1980 के करीब फूलन देवी का जब अपहरण हुआ था तो लालाराम का गैंग उन दिनों सुर्खियां में रहा। दहशत हर तरफ थी। एक साल बाद हुए बेहमई कांड इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। अस्ता गांव में आग लगाई गई थी। कई घरों को फुंक दिया गया था।


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