नसीम की कलाई पर आशा की राखी, ताजवर लेती हैं अनिल से वचन
अमरोहा रिश्ते सिर्फ परिवार में ही नहीं होते। कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जिनसे मानवता बरकरार रहती है।
अमरोहा: रिश्ते सिर्फ परिवार में ही नहीं होते। कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जिनसे मानवता व भाईचारा हमेशा कायम रहता है। ऐसे ही कुछ रिश्ते अमरोहा शहर में भी बरकरार हैं। बीते 55 साल से यहां हिदू बहन मुस्लिम भाई की कलाई पर राखी बांध रही हैं तो मुस्लिम बहन भी हिदू भाई की कलाई पर अपने प्यार का धागा बांध रही हैं।
मुस्लिम कमेटी के अध्यक्ष नसीम खां को बहन आशा यादव पांच साल की उम्र से राखी बांधती आ रही हैं। वह भी आज तक भाई का हर एक फर्ज बखूबी निभा रहे हैं। वहीं ताजवर सुल्ताना ने भी भाई अनिल जग्गा को बचपन से ही राखी बांध कर बहन का फर्ज अदा किया है। न कोई राजनीतिक रूप और न कोई दिखावा। इनके रिश्ते की यह डोर हर साल किसी भी सूरत में मजबूती के साथ बांधी जाती है।
नगर के मुहल्ला रज्जाक में मुस्लिम कमेटी के सदर नसीम खां का परिवार रहता है। सोमवार को मुरादाबाद में रहने वाली उनकी बहन आशा यादव राखी लेकर घर पहुंचीं। नसीम खां ने बहन से हर साल की तरह राखी बंधवाई तथा आशीष दिया। नसीम खां बताते हैं कि मुहल्ला पनवाड़ी निवासी आशा यादव उनकी बहन कैसर जहां, कमर जहां व रोशन जहां की सहेली हैं। पांच साल की उम्र से आशा मुझे राखी बांधती हैं। यह सिलसिला बीते 55 साल से चल रहा है।
आशा देवी ने बताया मुझे नसीम ने कभी यह अहसास नहीं होने दिया कि वह मेरा सगा भाई नहीं है। बोलीं-मेरी दो बेटियों की शादी हुई तो नसीम ने भाई का फर्ज अदा करते हुए भात की रस्म पूरी की थी। हर सुख-दुख में मेरे साथ हैं। केवल नसीम खां ही नहीं बल्कि मुहल्ला दानिशमंदान निवासी अनिल जग्गा व मुहल्ला काजीजादा निवासी ताजवर सुल्ताना का रिश्ता भी ऐसा ही है।
सोमवार को हर साल की तरह ताजवर सुल्ताना ने अनिल जग्गा की कलाई पर प्रेम का धागा बांधा। श्री जग्गा ने बताया कि हम दोनों के पिता एक साथ काम करते थे। ताजवर सुल्ताना के भाई नहीं हैं तथा मेरी भी कोई बहन नहीं थी। बचपन में ही रक्षाबंधन के दिन ताजवर सुल्ताना ने राखी बांधने का सिलसिला शुरू किया था। यह रिश्ता आज भी जारी है तथा जीवनभर रहेगा। नसीम-आशा व अनिल-ताजवर का यह रिश्ता मानवता के रूप में एक मिसाल है।