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नदियों का सीना छलनी कर रहा खनन

माफिया खनन करके नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं। रोक के बावजूद गंगा व खादर के क्षेत्र में माफिया बड़े पैमाने पर खनन का काम कर रहे हैं। हालांकि सेंचुरी क्षेत्र होने के कारण खनन के पट्टे दिए जाने पर रोक लगी हुई है। इसके बावजूद अधिकारियों के रहमोकरम पर जनपद में बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा है, जोकि पर्यावरण के लिए खतरा बना हुआ है। लेकिन इसके बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 10:47 PM (IST)
नदियों का सीना छलनी कर रहा खनन
नदियों का सीना छलनी कर रहा खनन

अमरोहा : माफिया खनन करके नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं। रोक के बावजूद गंगा व खादर के क्षेत्र में माफिया बड़े पैमाने पर खनन का काम कर रहे हैं। हालांकि सेंच्युरी क्षेत्र होने के कारण खनन के पट्टे दिए जाने पर रोक लगी हुई है। इसके बावजूद अधिकारियों के रहमोकरम पर जनपद में बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा है, जोकि पर्यावरण के लिए खतरा बना हुआ है। लेकिन इसके बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।

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जनपद में नदियों को बचाने की मुहिम दम तोड़ रही हैं। सफाई होना तो दूर उनका वजूद भी नहीं बचाया जा रहा। जिले में चार प्रमुख नदियां आज अपनी हालत के लिए जिम्मेदारों को कोस रही हैं। गंगा व बगद का पानी प्रदूषण ने घेर लिया है तो बान व सोत नदी का वजूद ही खत्म हो रहा है। बान व सोत नदियों पर अतिक्रमण हो गया है। कोई खेती कर रहा है तो किसी ने नदी की जमीन पर कब्जा कर उस पर भवन निर्माण कर उसका मार्ग अवरुद्ध कर दिया। कॉटनवेस्ट इकाइयां भी जल प्रदूषण फैला रही हैं। बावजूद इसके जन प्रतिनिधि व जिला प्रशासन बिगड़ते संतुलन को लेकर कतई गंभीर नहीं है।

पर्यावरण की ²ष्टि जनपद की स्थिति ठीक नहीं है। अमरोहा व नौगावां की करीब पांच सौ कॉटनवेस्ट फैक्ट्रियों और गजरौला में उद्योगों के प्रदूषित जल के कारण भूगर्भ जल तो दूषित हो ही रहा है, वहीं पर्यावरण के लिए भी ये गंभीर खतरा बने हुए हैं। हस्तिनापुर वन्य क्षेत्र में वन माफिया की घुसपैठ से पेड़ों का कटान हो रहा है। इन समस्याओं पर यदि अंकुश लग जाये तो जिले में पर्यावरण पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। वहीं बगद नदी गजरौला में स्थापित औद्योगिक इकाइयों की वजह से काली नागिन बन चुकी है। जल एवं वायु प्रदूषण की वजह से हसनपुर व गजरौला विकास खंड के लोगों का स्वास्थ्य ही प्रभावित नहीं हो रहा, बल्कि अमरोहा में काटन इकाईयां भी पानी में जहर घोल रही हैं। सबसे ज्यादा पेड़ पौधों व फसलों को नुकसान हो रहा है।

गंगा नदी में हालांकि शहर या उद्योगों का पानी नहीं जाता लेकिन गंगा नदी पीछे से ही प्रदूषित होकर आ रही है। वहीं खनन माफिया भी गंगा नदी का सीना छलनी कर रहे हैं। अधिकारी व नेताओं के रहमोकरम पर खनन जारी है। हालांकि पहले पाइंदापुर व दयावाली खालसा में खनन पट्टे दिए जाते रहे हैं, लेकिन इस बार रोक के बावजूद खनन बदस्तूर जारी है। इससे गंगा नदी ही नहीं वरन इसके जीव जंतुओं के जीवन को भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है। हालांकि जिम्मेदार अधिकारी किसी भी कीमत पर खनन नहीं होने दिए जाने की बात कह रहे हैं।


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