ढोलक कारोबार ठप, गणपति की शरण में कारोबारी
योगी सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल अमरोहा का ढोलक कारोबार आर्थिक मंदी व बाढ़ में डूब गया है। पिछले ढाई-तीन महीने से कारोबारियों को देश-विदेश से आर्डर मिलने बंद हो गए हैं। सत्तर फीसद से अधिक कारोबार ठप होने से बड़ी संख्या में कारीगर बेकार बैठे हैं। अब ढोलक कारोबारियों को सिर्फ गणपति बप्पा का सहारा है। गणेश विसर्जन के बाद उन्हें महाराष्ट्र से बड़ा आर्डर मिलने की उम्मीद है। इसके चलते अधिकांश कारोबारी महाराष्ट्र कूच कर गए हैं।
अनिल अवस्थी, अमरोहा : योगी सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल अमरोहा का ढोलक कारोबार आर्थिक मंदी व बाढ़ में डूब गया है। पिछले ढाई-तीन महीने से कारोबारियों को देश-विदेश से आर्डर मिलने बंद हो गए हैं। सत्तर फीसद से अधिक कारोबार ठप होने से बड़ी संख्या में कारीगर बेकार बैठे हैं। अब ढोलक कारोबारियों को सिर्फ गणपति बप्पा का सहारा है। गणेश विसर्जन के बाद उन्हें महाराष्ट्र से बड़ा आर्डर मिलने की उम्मीद है। इसके चलते अधिकांश कारोबारी महाराष्ट्र कूच कर गए हैं। अमरोहा जिला ढोलक कारोबार के लिए देश-विदेश तक पहचान बनाए है। यहां प्रतिवर्ष चार से पांच अरब का ढोलक कारोबार होता है। ढोलक बनाने के लिए अमरोहा में तीन सौ से अधिक कारखाने स्थापित हैं। इनके जरिये कारोबारियों के अलावा लगभग तीन हजार कारीगरों की रोजी-रोटी चल रही है। मगर महाराष्ट्र, उड़ीसा, दक्षिण भारतीय राज्यों समेत देश के विभिन्न हिस्सों में आई बाढ़ से यह कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया है। इन हिस्सों से मिलने वाले ढोलक समेत अन्य वाद्य यंत्रों के आर्डर मिलने बंद हो गए हैं। उधर, मंदी से प्रभावित बाहरी देशों से भी ढोलक की मांग लगभग बंद हो गई है। कारोबारियों के मुताबिक जर्मनी, कनाडा, अमेरिका समेत अरब देशों तक ढोलक, पखावज, कांगो, चांगों, तबला, डमरू, ढोल, नगाड़े आदि के प्रतिमाह 25-30 करोड़ रुपये के आर्डर मिलते थे, मगर अब आठ करोड़ के भी आर्डर नहीं मिल रहे हैं। वहीं बारिश के चलते लकड़ी भी नहीं मिल पा रही है। इसके चलते नब्बे फीसद कारखाने बंद पड़े हैं। आर्डर की उम्मीद में पूना गए ढोलक कारोबारी दीपक अग्रवाल ने फोन पर बताया कि गणेश विसर्जन के साथ ही त्योहारी सीजन शुरू हो जाता है। इसमें भी प्रतिदिन पांच-छह ट्रक माल महाराष्ट्र समेत अन्य प्रांतों में भेजा जाता है। इस बार भी अब कारोबार को गति मिलने की उम्मीद है। आर्डर के लिए बड़ी संख्या में अन्य कारोबारी भी महाराष्ट्र रवाना हो गए हैं। बोले कारोबारी-
अमरोहा में ढोलक समेत अन्य वाद्य यंत्रों का प्रतिवर्ष तीन अरब से अधिक कारोबार होता है। मैंने जिदगी में पहली बार इस कारोबार में इतनी मंदी देखी है। पिछले तीन माह से न तो देश से आर्डर मिल रहे हैं और न ही विदेश से। 70 फीसद से अधिक कारोबार ठप है। अब गणेश विसर्जन के बाद आर्डर मिलने की उम्मीद है। शक्ति कुमार अग्रवाल, अध्यक्ष, लकड़ी हस्तकला एसोसिएशन अमरोहा कारोबार बहुत मंदा है। पहले हर महीने दो-तीन गाड़ी माल गुजरात, पंजाब, दिल्ली भेजते थे। अब तीन-चार महीने में एक गाड़ी निकल पा रही है। लकड़ी के दाम भी दोगुने हो गए हैं। ये तो शौक की चीज है, मंदी के चलते लोग पहले खाने-पीने की चीज खरीदेंगे, वाद्य यंत्र तो बाद में ही लेंगे। पहले हमारे यहां चार कारीगर थे, अब एक रह गया है। मोहम्मद फैजान, ढोलक कारोबारी
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ढोलक कारीगरों का दर्द-
दस वर्षों से ढोलक समेत लकड़ी के अन्य वाद्य यंत्र तैयार कर रहा हूं। इसी से परिवार की रोजी-रोटी चलती है। मगर दो महीने से खाली बैठे हैं। अब समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें। नईम अंसारी, कारीगर अमरोहा में ढोलक व्यवसाय इतना बड़ा है कि बाहर से मिलने वाले आर्डर पूरा करना मुश्किल होता था। मगर अब पता नहीं क्या हो गया कि काम ही नहीं मिल रहा, इससे संकट में फंस गए हैं।
असलम, कारीगर हमारी रोजी-रोटी तो ढोलक व अन्य वाद्य यंत्र तैयार करने से ही चलती है। घर के अन्य सदस्य भी इस कारोबार से जुड़े हैं। अब एकदम रोजगार छिन गया, उम्मीद है कि जल्द ही आर्डर मिलने लगेंगे।
सरताज, कारीगर कारोबार मंदा होने के कारण दूसरे काम की तलाश करनी पड़ रही है। इतनी जल्दी नया काम मिलना आसान काम नहीं है। इसलिए मजदूरी करके भी परिवार का पेट पालना पड़ रहा है। अकबर, कारीगर