कोल्ड स्टोरेज से फिर फेंका जाने लगा आलू
समस्या - - बाजार में नया आलू आने से धड़ाम हुए पुराने आलू के दाम - कोल्ड स्टोरेज स्वामियों को किराया निकालना पड़ रहा मुश्किल फोटो- 10,11,12 जागरण संवाददाता, जोया: आखिरकार जिसकी आशंका थी हुआ भी वही, कोल्ड स्टोरेज से करीब पुराना आलू फेंका जाने लगा है। नया आलू आने के बाद पुराना आलू फेंका जाने लगा है। अच्छा आलू लोग ढेरों से बीन कर ले जा रहे हैं तो छोटा व हरा आलू जानवर खा रहे हैं। कोल्ड स्टोरेज के आस-पास के क्षेत्र में आलू की सड़ांध भी आने लगी है। आलू के रेट से ज्यादा तो कोल्ड स्टोरेज का किराया हो गया है, इसीलिए किसान आलू लेने कोल्ड स्टोरेज नहीं जा रहे। पिछले साल भी आलू की खूब बेकद्री हुई थी, किसानों की समस्या को देखते हुए पिछले साल सरकार ने जिला मुख्यालयों पर गेहूं व धान की तरह खरीद कराई थी। इसका लाभ भी किसानों को मिला था। इसके बाद जो आलू बचा था वह किसानों ने जिले के सभी 1
जोया : आखिरकार जिसकी आशंका थी हुआ भी वही, कोल्ड स्टोरेज से पुराना आलू फेंका जाने लगा है।अच्छा आलू लोग ढेरों से बीन कर ले जा रहे हैं तो छोटा व हरा आलू जानवर खा रहे हैं। कोल्ड स्टोरेज के आस-पास के क्षेत्र में आलू की सड़ांध आने लगी है। आलू के रेट से ज्यादा तो कोल्ड स्टोरेज का किराया हो गया है, इसीलिए किसान आलू लेने कोल्ड स्टोरेज नहीं जा रहे।
पिछले साल भी आलू की बेकद्री हुई थी। किसानों की समस्या को देखते हुए पिछले साल सरकार ने जिला मुख्यालयों पर गेहूं व धान की तरह खरीद कराई थी। इसका लाभ भी किसानों को मिला। इसके बाद जो आलू बचा था वह किसानों ने जिले के सभी 18 कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिया। फरवरी माह में उक्त आलू 9 माह तक 250 रुपये प्रति ¨क्वटल के हिसाब से कोल्ड स्टोरेज में रखवाया गया। हालांकि खपत को देखते हुए पहले ही लोग कोल्ड स्टोरेज से आलू निकाल चुके हैं। मुश्किल दस फीसद आलू ही मौजूदा समय में कोल्ड स्टोरेज में रखा हुआ है। इस आलू को अब किसान लेने नहीं आ रहे। क्योंकि बाजार में पुराना आलू इस समय 200 से 300 रुपये प्रति ¨क्वटल बिक रहा है, जबकि कोल्ड स्टोरेज से आलू को छुड़ाने में ही किसान को 250 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। लाने और ले जाने का झंझट अलग है। इस पर भी पैसा खर्च होता है। लिहाजा किसान आलू लेने कोल्ड स्टोरेज नहीं आ रहे।
वहीं कोल्ड स्टोरेज स्वामियों ने भी किसानों के न पहुंचने पर किसानों के आलू को ¨फकवाना शुरू कर दिया है। क्योंकि नए सीजन के लिए कोल्ड स्वामियों को कोल्ड स्टोर की मरम्मत आदि का काम कराना है। फौजी कोल्ड स्टोर के प्रबंधक जावेद आलम का कहना है कि फरवरी-2018 में 50-50 किलो के 40 हजार कट्टे रखे गए थे। इनमें से 36 हजार कट्टे तो किसानों ने उठा लिए, लेकिन चार हजार कट्टे उठाने किसान नहीं आए। बाजार में रेट अच्छे नहीं है, लिहाजा उक्त चार हजार कट्टे कोल्ड स्टोर के बाहर फिंकवा दिए गए हैं। केवल चार हजार कट्टों के किराए का ही उन्हें नुकसान हुआ है। जबकि पिछले साल काफी नुकसान हुआ था।
आढ़ती परमानंद का कहना है कि नया आलू बाजार में 7 से 8 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है, इसलिए पुराने आलू को कोई नहीं पूछ रहा। मौजूदा समय से दो से तीन रुपये किलो ही पुराने आलू के रेट हैं। इससे ज्यादा तो किसानों को कोल्ड स्टोरेज से आलू लाने में खर्च हो जाएंगे। आलू के रेट से ज्यादा आलू का किराया हो गया है, यही वजह है कि किसान कोल्ड स्टोरेज से आलू लेने नहीं पहुंच रहे।
कोल्ड स्टोरेज द्वारा फेंके जा रहे आलू को क्षेत्रीय लोग बीन कर ले जा रहे हैं। मंगलवार को श्योनाली गांव निवासी मोती ¨सह जाटव की 70 वर्षीय पत्नी इमरती देवी समेत क्षेत्र के लोग आलू बीनकर ले गए।