बसपा दावेदार का नाम चर्चा में आने से बदला सियासत का रंग
अमरोहा लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में अमरोहा में मतदान 18 अप्रैल को होगा। इसके लिए नामांकन कल से शुरू होंगे लेकिन अभी तक कांग्रेस भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। सपा और बसपा गठबंधन से नए दावेदार का नाम सामने के बाद सियासत का रंग बदल गया है। कंाग्रेस से खुद को दावेदार मानकर चले रहे राशिद अल्वी ने इसे बसपा की साजिश करार दे दिया।
अमरोहा : लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में अमरोहा में मतदान 18 अप्रैल को होगा। इसके लिए नामांकन कल से शुरू होंगे, लेकिन अभी तक कांग्रेस, भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। सपा और बसपा गठबंधन से नए दावेदार का नाम सामने के बाद सियासत का रंग बदल गया है। कंाग्रेस से खुद को दावेदार मानकर चले रहे राशिद अल्वी ने इसे बसपा की साजिश करार दे दिया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पूर्व सांसद राशिद अल्वी एक माह से क्षेत्र में भ्रमण कर अपने आपको प्रत्याशी बता रहे हैं। उधर, भाजपा में टिकट को मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर के साथ ही पूर्व सांसद देवेंद्र नागपाल की कशमकश चल रही है। सपा-बसपा गठबंधन से अब तक कई नाम चर्चा में आकर विलुप्त हो चुके हैं। शनिवार को जब आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव कुंवर दानिश ने बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इसके बाद उनके अमरोहा से चुनाव लड़ने की बात सामने आई। यह खबर भाजपा के लिए सकून भरी हो सकती है, तभी तो कोई बयान नहीं दिया। वहीं कांग्रेस इसको ध्यान में रखकर रणनीति बना रही है।
अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में लगभग 16.33 लाख मतदाताओं में सबसे अधिक लगभग 5.5 लाख मुस्लिम है। इस पर सभी की पैनी नजर है। उलटफेर करने की क्षमता रखने वाले सबसे बड़े वर्ग के वोटर अभी चुप हैं। कांग्रेस इस वर्ग को अपने पाले में मानकर चल रही थी। इसलिए राशिद अल्वी को क्षेत्र में उतार दिया है। माना जा रहा था कि गठबंधन की ओर से यदि मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारता है तो कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। सपा-बसपा गठबंधन मुस्लिम मतदाताओं को अपना मानने का दावा करती है। हालांकि अभी तक बसपा ने अमरोहा सीट से कुंवर दानिश को प्रत्याशी बनाने की घोषणा नहीं की है। इसके बावजूद पूर्व सांसद राशिद अल्वी ने मीडिया में बयान जारी कर कह दिया कि अगर बसपा अमरोहा से मुस्लिम प्रत्याशी उतारेगी तो इसे भाजपा से उसकी साठगांठ माना जाएगा। उन्होंने दावा किया वह कांग्रेस से अमरोहा के प्रत्याशी हैं, बस इसके एलान की औपचारिकता बाकी है।
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कांग्रेस 35 वर्षो से झेल रही वनवास
अमरोहा : देश के आजाद होने के बाद अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार कांग्रेस के हिफजुर्रहमान सांसद रहे। इसके बाद यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के समर्थन में जब जनसैलाब उमड़ा तो वर्ष 1984 में एक बार फिर अमरोहा सीट कांग्रेस प्रत्याशी रामपाल सिंह को मिल गई मगर इसके बाद से आज तक कांग्रेस इस सीट के लिए वनवास झेल रही है।
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वर्जन-
अमरोहा लोकसभा सीट से कुंवर दानिश को गठबंधन का प्रत्याशी बनाया जाना तय हो गया है। पार्टी हाईकमान से इसकी औपचारिक घोषणा होनी शेष है।
रामौतार, जिलाध्यक्ष बसपा। अगर बसपा गठबंधन से किसी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी बनाती है तो भाजपा से उसकी साठगांठ साबित हो जाएगी। स्पष्ट हो जाएगा कि वह इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाना चाहती है।
राशिद अल्वी, पूर्व सांसद, कांग्रेस