स्कूल में बच्चे नहीं, लिया जा रहा खाद्यान्न
गरीबों का राशन ही नहीं डकारा जा रहा बल्कि मिड डे मिल में भी यही खेल चल रहा है। स्कूल में बच्चे पढ़ने आते नहीं है। फिर भी मिड-डे मील के नाम पर खाद्यान्न हर बार लिया जा रहा है। मजे की बात यह है कि काफी समय से यह खेल चलने के बाद भी विभाग का कोई भी का¨रदा इसे अभी तक नहीं पकड सका है। इससे अंदाजा लगाया सकता है कि सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी जिम्मेदार अपना दायित्व किस तरह निभा रहे होंगे ?
गजरौला : गरीबों का राशन ही नहीं डकारा जा रहा बल्कि मिड डे मिल में भी यही खेल चल रहा है। स्कूल में बच्चे पढ़ने आते नहीं है। फिर भी मिड-डे मील के नाम पर खाद्यान्न हर बार लिया जा रहा है। मजे की बात यह है कि काफी समय से यह खेल चलने के बाद भी विभाग का कोई भी का¨रदा इसे अभी तक नहीं पकड सका है।
गजरौला ब्लाक क्षेत्र के ग्राम शहबाजपुर माफी में प्राथमिक विद्यालय खुला है। यह ब्लाक मुख्यालय से खादगूर्जर मार्ग पर एकदम सडक से सटा हुआ है। हैरत की बात यह है कि यह विद्यालय एकदम सड़क किनारे होने के बावजूद निरीक्षण करने कोई अधिकारी पहुंच पाता है। इस विद्यालय में छात्र संख्या बढ़ने के बजाए नगण्य जैसी है। यहां बच्चों के नाम पर एक या दो ही छात्र-छात्राएं दिखाई देते हैं। सोमवार की सुबह 11 बजे स्कूल में दो ही बच्चे मौजूद मिले। एक मोबाइल चला रहा था। दूसरा परिसर में घूम रहा था। स्टाफ का कहना था कि उनके यहां मात्र सात बच्चों का पंजीकरण है, लेकिन दो ही आ रहे हैं। दावा किया कि बाकी पाच बच्चे अलग-अलग कारणों से विद्यालय नहीं आ रहे हैं।
हैरत की बात यह है कि मिड डे मिल का खाद्यान्न हर बार राशन दुकान से लिया जा रहा है। गांव के राशन विक्रेता विनोद ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अगस्त माह में 16 किलो खाद्यान्न दिया गया था। इस माह का भी आया हुआ है, लेकिन अभी दिया नहीं गया है। हालांकि स्कूल की प्रधानाध्यापक डॉ. नंदिता ने रोज मिडडे मिल बनाने और पंजीकृत बच्चों के हिसाब से ही खाद्यान्न लेने का दावा किया है। बच्चे दो, स्टाफ तीन
गजरौला : विद्यालय में पढ़ाई को छात्र भले ही दो हों लेकिन स्कूल में स्टाफ तीन है। एक प्रधानाध्यापक और दो शिक्षा मित्र। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए रोज ही नियमित रूप से विद्यालय आने का दावा करते हैं। एक ओर ऐसे तमाम विद्यालय हैं, जहां छात्र संख्या के हिसाब से शिक्षक मौजूद नहीं हैं तो कुछ विद्यालय ग्राम शहबाजपुर माफी की तरह हैं, जहां छात्रों से अधिक स्टाफ तैनात है। ईंट भट्ठा चलने पर इस विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ जाती है। वर्तमान में कितने बच्चे हैं, कितनों का खाद्यान्न बन रहा है, इसे चेक कराया जाएगा। गड़बड़ी मिलने पर जांच उपरांत उचित कार्रवाई की जाएगी। राकेश कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी।