.मियां इस मुफलिसी ने मां को भी झूठा बना डाला
इंडियन कल्चरल सोसयटी के तत्वावधान में मशहूर शायर डॉ.शफात फहीम डॉ. अ•ाीम अमरोहवी दिलशाद नगीनवी व ऱफी सिरसीवी की याद में मुहल्ला छेबड़ा स्थित गुलशने इकबाल में मुशायरे का आयोजन किया गया।
अमरोहा, जेएनएन: इंडियन कल्चरल सोसयटी के तत्वावधान में मशहूर शायर डॉ.शफात फहीम, डॉ. अ•ाीम अमरोहवी, दिलशाद नगीनवी व ऱफी सिरसीवी की याद में मुहल्ला छेबड़ा स्थित गुलशने इकबाल में मुशायरे का आयोजन किया गया। इसकी शुरुआत इमाम जुमा-वल-जमात मौलाना डॉ. सियादत नकवी ने किया। सदारत सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क ने की। मुख्य अतिथि के रूप में सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्टीय सचिव कशिश वारसी व आसिफ नजर मौजूद रहे।
मुशायरे का आगाज कमाल हैदर ने नाते पाक से किया। डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने कुछ यूं कहा-कभी न शिकवा-ए-दारों रसन किया मैंने, सदा •ामाने को दरसे व़फा दिया मैंने। एमआर कासमी यूं नमूदार हुए-हमारे अहद में अब उम्र से इज्जत नहीं मिलती, बु•ाुर्गों से बड़ी बातें तो बच्चा बोल देता है। अहमद अल्वी ने कहा-अल़्फा•ा की अदाएगी तर्•ो बयान सीख, करना अगर है इश्क तो उर्दू •ाबान सीख। शीबान कादरी ने कहा-ऊंची-ऊंची हवेलियों वाले, झांकते हैं गरीब खानों में। मयकश अमरोहवी ने पढ़ा-कुछ तेरी अंगूठी के नगीने भी अजब थे, कुछ मैंने भी किस्मत के सितारों को न देखा। कशिश वारसी ने कहा-कहीं •ामी थी कहीं तख्त तो कहीं औरत, हमारी कौम के रहबर कहां-कहां टूटे। आसिफ नजर ने कहा-सदियों का फैसला था जो पल भर में हो गया, इंसाफ बिक रहा था अदालत के सामने। डॉ. जमशेद कमाल ने कुछ इस अंदाज में बात की-मियां इस मुफलिसी ने मां को भी झूठा बना डाला, हमेशा खुद न खाने के बहाने ढूंढ लेती है। इनके अलावा नाशिर नकवी, वाहिद अमरोहवी, नसीम वारसी, शहाब अनवर, वसीम अमरोहवी, भुवन अमरोहवी, नासिर अमरोहवी, सामी अमरोहवी, कमाल हैदर कमाल अमरोहवी ने भी कलाम पेश किए। अंत में वजाहत अली ने सभी का शुक्रिया अदा किया।