दहशतगर्दों की पनाहगाह बन रहा मुरादाबाद मंडल
जब-जब दहशतगर्दी का कोई मामला प्रकाश में आया है उस समय मुरादाबाद मंडल का नाम भी सुर्खियों में रहा है। अब परवेज व जमशेद की गिरफ्तारी के बाद फिर से अमरोहा का नाम चर्चा में है।
अमरोहा : जब-जब दहशतगर्दी का कोई मामला प्रकाश में आया है उस समय मुरादाबाद मंडल का नाम भी सुर्खियों में रहा है। अब परवेज व जमशेद की गिरफ्तारी के बाद फिर से अमरोहा का नाम चर्चा में है। इससे पहले भी मंडल के अमरोहा, बिजनौर, मुरादाबाद व सम्भल जनपद के लोग आतंकी गतिविधियों में पकड़े जा चुके हैं। चाहे वह बिजनौर के मुहल्ला भाटान का बलास्ट हो या फिर सम्भल निवासी आसिफ व जफर मसूद की गिरफ्तारी। मुरादाबाद से भी आतंकी संगठनों से संबंध होने के शक में कई संदिग्ध गिरफ्तार किए जा चुके हैं। यानि मुल्क में दहशत फैलाने वाले संगठनों के सदस्य मुरादाबाद मंडल को सेफ जोन मानकर चल रहे हैं। शायद यही वजह है कि बीते डेढ़ दशक से यहां पर आतंकी गतिविधियां तेज हो रही हैं। दहशतगर्दी को लेकर अमरोहा का नाम वर्ष 2006 में उस समय चर्चा में आया जब एसटीएफ ने मुहल्ला चिल्ला निवासी रिजवान व मोहम्मद शाद को संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसके बाद तो मानों दहशतगर्दी के तार अमरोहा से जुड़ते चले गए। वर्ष 2009 में सेना ने एलओसी पर जैश-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर अबु हमजा को मुठभेड़ के बाद मार गिराया। उसका नाता भी अमरोहा से था। उसने शहर के एक मदरसे से दीनी तालीम हासिल की थी। हमजा की मौत के बाद भी एसटीएफ ने इस मदरसे में छापा मार कर रिकार्ड चैक किया। उसमें अबु हमजा के यहां तालीम हासिल करने की पुष्टि हुई थी।
फैजाबाद, वाराणसी व लखनऊ की कचहरियों में ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद की जेल में मौत होने के बाद भी अमरोहा का नाम आतंकवाद से जोड़ा गया था। खालिद मुजाहिद ने भी वर्ष 2000-2001 में उसी मदरसे से तालीम हासिल की थी, जिसमें अबु हमजा पढ़ता था। इतना ही नहीं लश्कर के खूंखार आतंकवादी इलियास कश्मीरी के भी वर्ष 2009 में अमरोहा जनपद की सीमा से सटे गढ़ मुक्तेश्वर क्षेत्र की लोकेशन मिली थी। उस समय भी जिले को शक की नजर से देखा गया। सूबे की पुलिस को सूचना तो मिली थी लेकिन वह इलियास कश्मीरी का सुराग नहीं लगा सकी थी।
मंडल में आतंकियों के पनाह लेने का यह सिलसिला यहीं नहीं थमा। उसी समय रजबपुर की पाकीजा खातून बॉर्डर पर पकड़ी गई। आइएसआइ से संबंध होने के आरोप में वह जेल में है। जबकि एटीएस ने बाद में मुरादाबाद के फैजान, शादान व सद्दाम को भी संदिग्ध गतिविधियों के चलते हिरासत में लिया था। इसी जनपद के भोजपुर व भगतपुर थाना क्षेत्र से संदिग्ध आतंकी पकड़े जा चुके हैं। वर्ष 2014 में बिजनौर के मुहल्ला भाटान में बम ब्लास्ट के बाद बड़ी आतंकी साजिश का खुलासा हुआ था। यहां पर आइएम के आतंकी पनाह लिए हुए थे। जबकि वर्ष 2015 में खुफिया एजेंसियों ने सम्भल के आसिफ व जफर मसूद को इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी होने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
इन मामलों के सामने आने से एक बात तो साफ है कि आतंकी संगठन मुरादाबाद मंडल को अपने लिए सेफ जोन मान रहे हैं। वह यहां छुप कर न सिर्फ खुद को पुलिस से बचा रहे हैं खून-खराबे की साजिश भी रच रहे हैं।