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सीमित प्रयोग के साथ छात्र-छात्राओं के लिए मोबाइल जरूरी

वही व्यक्ति आगे बढ़ सकता है जिसके पास संचार की बेहतर सुविधा है। सूचना क्रांति के समय में जो उपकरण सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं वह मोबाइल ही है। मोबाइल से कालेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं आसानी से अपने प्रश्न का उत्तर खोज लेती है। यह बच्चों के ऊपर निर्भर है कि वह उसका इस्तेमाल सीमित और सही करें। असीमित व अनियंत्रित मोबाइल के इस्तेमाल से नुकसान भी है। वर्तमान में अभिभावक की व्यवस्ता से बच्चों में मोबाइल की लत विकसित हो रही है। यह न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य व समय को बर्बाद कर रहा है बल्कि उनके मस्तिक को भी विकृत कर रहा है। जेएस हिन्दू पीजी कालेज के प्रोफेसरों ने बच्चों के मोबाइल रखने की बात पर अपने विचार रखे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 11:15 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 06:16 AM (IST)
सीमित प्रयोग के साथ छात्र-छात्राओं के लिए मोबाइल जरूरी
सीमित प्रयोग के साथ छात्र-छात्राओं के लिए मोबाइल जरूरी

अमरोहा : वही व्यक्ति आगे बढ़ सकता है जिसके पास संचार प्रणाली की बेहतर सुविधाएं मौजूद हैं। सूचना क्रांति में मोबाइल महत्वपूर्ण हो गया है। इससे छात्र-छात्राएं भी आसानी से प्रश्न का उत्तर खोज लेते हैं। यह बच्चों के ऊपर निर्भर है कि वह उसका इस्तेमाल सीमित और सही करें। मोबाइल के असीमित व अनियंत्रित इस्तेमाल के नुकसान भी हैं। अभिभावकों की अत्यधिक व्यस्तता से बच्चों को मोबाइल की लत लग गई है। इससे न केवल उनका स्वास्थ्य खराब हो रहा है बल्कि समय भी नष्ट हो रहा है। मोबाइल का अधिक प्रयोग मस्तिष्क को भी विकृत कर रहा है। सरकार ने कॉलेज में छात्र-छात्राओं के लिए मोबाइल के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी है। इसी विषय को लेकर दैनिक जागरण की ओर से बुधवार को जगदीश शरण हिन्दू पीजी कालेज में गोष्ठी का आयोजन कराया गया। इस दौरान प्रोफेसरों ने कहा कि आज के दौर में मोबाइल सबकी जरूरत बन गया है। मोबाइल से इंटरनेट के जरिये छात्र-छात्राएं आसानी से अपने प्रश्न का जबाव खोज लेते हैं। आकस्मिक घटना-दुर्घटना की स्थिति में वह अपने अभिभावक और पुलिस को सूचना दे सकते हैं। यहां तक कि रेलवे, हवाई जहाज की टिकट बुकिग, बैंकिंग में लाभदायक है। मोबाइल का उपयोग कहीं से भी हानिकारक नहीं है। यह कालेज के छात्र-छात्राओं के ऊपर निर्भर करता है कि वह मोबाइल का इस्तेमाल सीमित व सही करते हैं। उन्होंने बताया कि वही मोबाइल से दुष्परिणाम भी जो छात्र-छात्राएं फेसबुक, चैटिग में लंबे समय तक लगे रहते हैं। जिससे वह अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। इसके लिए अभिभावकों को ध्यान देने की जरूरत हैं कि वह अपने बच्चों को मोबाइल चलाते ध्यान रखे। परिचर्चा के दौरान प्राचार्य डॉ. वीबी बरतरिया, डॉ. संजय शाही अध्यक्ष भूगोल विभाग, डॉ. निखिल दास मनोविज्ञान एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. वीर वीरेंद्र सिंह मुख्य अनुशासक, डॉ. मनीष टंडन बीकॉम आनर्स आदि ने विचार रखे।

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