Move to Jagran APP

बुढ़ापे में भी हुनर की रोशनी बिखेर रही केलावती

कस्बे के मुहल्ला कोट पश्चिमी खेवान निवासी 70 वर्षीय केलावती बुढ़ापे में भी हुनर की रोशनी बिखेर रही है। वह पचास साल से खजूर के पत्तों की चटाई एवं हाथ के पंखें बुनकर न केवल अपना रोजगार चला रही हैं बल्कि सौ से अधिक महिलाओं को हुनर सिखाकर आत्मनिर्भर भी बना चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 11:18 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 06:23 AM (IST)
बुढ़ापे में भी हुनर की रोशनी बिखेर रही केलावती
बुढ़ापे में भी हुनर की रोशनी बिखेर रही केलावती

हसनपुर : कस्बे के मुहल्ला कोट पश्चिमी खेवान निवासी 70 वर्षीय केलावती बुढ़ापे में भी हुनर की रोशनी बिखेर रही है। वह पचास साल से खजूर के पत्तों की चटाई एवं हाथ के पंखें बुनकर न केवल अपना रोजगार चला रही हैं, बल्कि सौ से अधिक महिलाओं को हुनर सिखाकर आत्मनिर्भर भी बना चुकी है। केलावती के पति भगवान सहाय मोची का कार्य करते थे। छह माह पहले उनकी मौत हो चुकी है। उनके दोनों बेटे किशनलाल व उमेश भी मोची का कार्य करते हैं। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति ने केलावती को कुछ कर गुजरने को मजबूर किया तो उन्होंने खजूर के पत्तों की चटाई व हाथ के पंखे बुनना सीखकर न केवल मोची पति का खर्च में हाथ बटाया, बल्कि पति की मौत के बाद उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी वह अपने उक्त हुनर से अपना खर्च स्वयं चलाने के साथ ही हुनर की रोशनी से दूसरों के घर भी रोशन कर रही हैं। केलावती के घर से मुहल्ले में फैला कारोबार

loksabha election banner

हसनपुर: पांच दशक पहले केलावती द्वारा शुरू किया गया चटाई व हाथ के पंखें बुनने का कारोबार पूरे खेवान मुहल्ले में फैल चुका है। केलावती से हुनर सीखकर दर्जनों महिलाएं इस कार्य को करके अपने परिवारों को चला रही हैं। खजूर की पत्ते महिलाएं जंगल से स्वयं काटकर ले आती हैं। सौ रुपये रोज हो जाती है आमदनी

एक महिला दिन भर काम करे तो दो चटाई या दस पंखे बुनकर तैयार कर देती है। प्रत्येक चटाई पचास एवं पंखा दस रुपये का बिक जाता है। जरूरतमंद लोग चटाई व हाथ के पंखे उनके घर से भी खरीदकर ले जाते हैं तथा बाजार व मेलों में भी महिलाएं खुद ले जाकर बेच आती हैं। ईद व तिगरी मेले को करती हैं स्टॉक

खजूर के पत्तों की चटाई की बिक्री यूं तो बारह महीने चलती रहती है। लेकिन उत्तर भारत के ऐतिहासिक तिगरी मेला एवं ईद उल फितर के त्यौहार के मौके पर चटाई की बिक्री करने के लिए पहले से स्टॉक करके रखना पड़ता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.