गरीब की बेटी ने रचा इतिहास, पूरा गांव हो गया खास
कोख में ही बेटी मारने वालों के लिए मानवी एक उदाहरण है। अब उसके नाम से गांव जाना जाता है। उसका नाम लेते ही लोग गांव का रास्ता बता देते हैं। अमेरिका भी उसकी मेधा का कायल है। यही वजह है कि एक मजदूर की बेटी ने दो करोड़ की स्कालरशिप से अमेरिका में शिक्षा पाई। पढ़ाई पूरी होते ही न्यूयार्क में उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नजर रखने के लिए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब उसके आगमन को लेकर स्वजन ही उत्सुक नहीं हैं बल्कि गांव वाले भी पलकें बिछाए बैठे हैं।
अनिल अवस्थी, अमरोहा : कोख में ही बेटी मारने वालों के लिए मानवी एक उदाहरण है। अब उसके नाम से गांव जाना जाता है। उसका नाम लेते ही लोग गांव का रास्ता बता देते हैं। अमेरिका भी उसकी मेधा का कायल है। यही वजह है कि एक मजदूर की बेटी ने दो करोड़ की स्कालरशिप से अमेरिका में शिक्षा पाई। पढ़ाई पूरी होते ही न्यूयार्क में उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नजर रखने के लिए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब उसके आगमन को लेकर स्वजन ही उत्सुक नहीं हैं बल्कि, गांव वाले भी पलकें बिछाए बैठे हैं।
रजबपुर थानाक्षेत्र का छोटा सा गांव धनौरी माफी सुर्खियों में है। यहां रहने वाले ब्रजपाल चौधरी की तीन बेटी व एक बेटा है। जुगाड़नुमा वाहन से सवारियां ढोकर वह गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे। खुद पढ़े थे न जीवनसंगिनी सुनीता। मगर बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलवाने का सपना संजोए थे। इसीलिए गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश दिला दिया। बड़ी बेटी मानवी कुशाग्र बुद्धि थी। पांचवीं कक्षा के बाद ब्रजपाल उसे किसी अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाना चाहते थे। शिक्षकों ने उन्हें बताया कि बुलंदशहर में विद्याज्ञान इंगलिश मीडियम बोर्डिंग स्कूल खुला है। इसमें दाखिले के लिए ब्रजपाल ने मानवी को प्रवेश परीक्षा दिलाई। बेहतर प्रदर्शन की बदौलत उसे यहां दाखिला मिल गया। वर्ष 2016 में कालेज में प्रथम स्थान के साथ इंटर उत्तीर्ण किया। पढ़ाई के प्रति उसके समर्पण भाव से प्रभावित शिक्षकों ने मार्गदशर्न किया। उच्चशिक्षा के लिए उसे अमेरिका से आयोजित स्कालरशिप परीक्षा में प्रतिभाग कराया। मानवी ने पहली बार में ही इस परीक्षा में भी बेहतर स्थान हासिल कर लिया। फिर क्या था, प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख रुपये की स्कालरशिप के साथ चार वर्षीय स्नातक की पढ़ाई के लिए वर्ष 2017 में अमेरिका के बोस्टन स्थित वेलस्ले कालेज से उसे बुलावा आ गया। इसी साल अक्टूबर में पढ़ाई पूरी होते ही मानवी को न्यूयार्क में ग्लोबल मार्केट एनालिस्ट के पद पर नौकरी मिल गई है। अब वह कई देशों के विशेषज्ञों के साथ बैठकर दुनिया भर के बाजार का विश्लेषण करती हैं। धनौरी माफी गांव की प्रधान शानू कहती हैं कि मानवी की कामयाबी से पूरा गांव चर्चा में है। उसने वह कर दिखाया जो आसानी से बेटे भी नहीं कर पाते। इसलिए बेटियों से पीछा छुड़ाने की सोच त्यागकर उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है। पापा, अब पूरे कर लो सपने
बेटी मानवी ने पिता ब्रजपाल से कहा है कि पापा अब सभी सपने पूरे कर लो। ब्रजपाल ने जुगाड़ू वाहन बेच दिया है। तीन महीने के अंदर घर में नई बुलेट के साथ ही ट्रेक्टर व एक पुरानी कार खरीद ली है। नया मकान बनाने के लिए 50 हजार ईंट मंगवाई है। ब्रजपाल बताते हैं कि मानवी जैसी बेटी कई पीढि़यों का उद्धार कर देती है। बताया कि अब उनकी दूसरे नंबर की बेटी दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी कर रही है जबकि, छोटी बेटी व बेटा अभी अमरोहा में ही पढ़ रहे हैं। मानवी ने सबको उच्च शिक्षा दिलाने के लिए कहा है।