हक के लिए हुसैन ने दी शहादत
पैगम्बरे इस्लाम के नवासे हजरत इमाम हुसैन इंकलाब की वो आवाज हैं जो हर दौर बुलंद होती रहेगी। करबला के मैदान में इमाम हुसैन की शहादत हक और सच्चाई की दावत देती है।
अमरोहा: पैगम्बरे इस्लाम के नवासे हजरत इमाम हुसैन इंकलाब की वो आवाज हैं जो हर दौर बुलंद होती रहेगी। करबला के मैदान में इमाम हुसैन की शहादत हक और सच्चाई की दावत देती है। हजरत इमाम हुसैन व उनके परिवार ने कर्बला के मैदान में हक व इंसाफ के लिए अपनी कुर्बानी दी है।
नगर के मुहल्ला हैदरियान में सोमवार शाम मजलिस का आयोजन किया गया। इसमें मरसिया ख्वानी चांद मिया व हमनवां ने की। मजलिस को खिताब करते हुए सैयद मोहम्मद मुस्तफा अमरोहवी ने कर्बला के शहीदों व हजरत इमाम हुसैन के फजाईल व मसाईब बयां किए। उन्होंने कहा कि करबला के मैदान में इमाम हुसैन ने उसूल और हक के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। आपकी शहादत इस्लाम की तारीख में अजीम शहादत है। ताकयामत तक हुसैनियत का जिक्र दुनिया यूं ही करती रहेगी।
इमाम हुसैन ने हक को बुलंद रखने के जामे शहादत कुबूल किया लेकिन यजीदी फौज के सामने सिर को झुकाया नहीं। मजलिस के बाद अंजुमन हाशमी ने मातम बरपा किया तथा नौहाख्वानी मुराद इमाम ने की। मजलिस में मोहम्मद नकी, मोहम्मद सकलैन, शेख बहार हैदर, वफादार अब्बास, हुस्ने मोहम्मद, शबाब हैदर, मोहम्मद आसिफ, जुल्फिकार, इंतेखाब हुसैन मौजूद रहे।