तन्हा सिपाहे शाम में जब घिर गया हुसैन..
शहीदे आजम हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत की याद में शहर में सात मुहर्रम को मातमी जुलूस अजाखाना कटरा गुलाम अली से बरामद हुआ। आज जुलूस में बड़ी संख्या में अजादार शामिल थे। बाहर से आए लोगों की संख्या भी काफी थी। अजादारों ने सीनाजनी कर मातम किया। अजाखानों में मजलिसों का सिलसिला जारी रहा।
अमरोहा: शहीदे आजम हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत की याद में शहर में सात मुहर्रम को मातमी जुलूस अजाखाना कटरा गुलाम अली से बरामद हुआ। आज जुलूस में बड़ी संख्या में अजादार शामिल थे। बाहर से आए लोगों की संख्या भी काफी थी। अजादारों ने सीनाजनी कर मातम किया। अजाखानों में मजलिसों का सिलसिला जारी रहा। अंजुमने तहफ्फुजे अजादारी के तत्वावधान में शनिवार सुबह नौ बजे मातमी जुलूस अपनी पुरानी रिवायत के मुताबिक बरामद हुआ। जुलूस में सबसे आगे ऊंटों का काफिला था जिस पर बच्चे बैठे थे। जो कर्बला के काफिले की याद ताजा कर रहे थे। उसके पीछे आराईश थी। आज अराईश पर छतरी लगी हुई थी। उसके पीछे अजादार मातमी धुन बजाते हुए चल रहे थे। उनके पीछे शबीहे ताबूत व दुलदुल चल रहे थे। आज दुलदुल के कमर पर तलवार व ढाल लगी हुई थी। दुलदुल के पीछे अजादार मरसिया पढ़ते हुए चल रहे थे। इसके जवाब में अजादार हुसैन-हुसैन की सदा बुलंद कर रहे थे। इमाम हुसैन के काफिले में छह माह के बेटे हजरत अली असगर भी थे। जिनको हुरमुला ने तीर से इमाम के हाथों में शहीद कर दिया था। आज उनकी याद में एक झूले का तख्त भी निकाला गया। झूला लगभग 16 किलो चांदी से तैयार किया गया था। जुलूस अपने तयशुदा मार्गों से होता हुआ शाम को वापस कटरा गुलाम अली अजाखाने में आकर समाप्त हुआ। इस दौरान मर्सिया-तन्हा सिपाहे शाम में जब घिर गया हुसैन पढ़ा गया। जुलूस के संचालन में रजाकाराने हुसैन के गुलाम सज्जाद, खुर्शीद हैदर जैदी, मौलाना मुस्तफा वसीम, मौलाना अली मोहम्मद, अख्तर अब्बास अप्पू, डॉ. चंदन नकवी, मोहम्मद तकी, वसीम जैदी, हुसैनी, शाने मुजतबा आदि लगे थे। जुलूस समाप्त होने के बाद शहर के अजाखानों में मातम और मजलिसों का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर रात तक जारी रहा। कल (आज) आठवें मुहर्रम का मातमी जुलूस नगर के काजीजादा स्थित चांद-सूरज के अजाखाने से बरामद होगा। इस दिन अजादार छुरियों और जंजीरों का मातम करते हैं।