इमाम हुसैन की शहादत से ¨जदा हुई इंसानियत
जागरण संवाददाता, अमरोहा: आलिमेदीन मौलाना जावेद आब्दी ने कहा कि कर्बला की जंग जुल्म-ओ-सितम के खिलाफ और इंसानियत के हक में थी। रसूले खुदा के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम की शहादत के बाद इंसानियत को नई ¨जदगी मिली। वरना, दुनिया में दोबारा जहालत का अंधेरा हावी होना तय था।
अमरोहा : आलिमेदीन मौलाना जावेद आब्दी ने कहा कर्बला की जंग जुल्म-ओ-सितम के खिलाफ और इंसानियत के हक में थी। रसूले खुदा के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के बाद इंसानियत को नई ¨जदगी मिली। वरना, दुनिया में दोबारा जहालत का अंधेरा हावी होना तय था।
मौलाना जावेद आब्दी शनिवार को नगर के मुहल्ला हक्कानी स्थित अजाखाना में मुसर्रत फात्मा के चेहललुम के सिलसिले में ऐसाले सवाब की मजलिस को खिताब फरमा रहे थे। मजलिस में सोजख्वानी मोहम्मद असगर व हमनवां ने की। मौलाना जावेद आब्दी ने कर्बला का वाकिया बयां किया तो हाजरीन की आंखों से जार-ओ-कतार आंसू बह निकले।
उन्होंने कहा अगर हजरत इमाम हुसैन कर्बला में सच के लिए शहीद न होते तो शायद आज भी दुनिया जहालत के अंधेरे में होती। रसूले पाक के नवासे ने अपने सारे परिवार के साथ कर्बला की तपती धरती पर अपनी कुर्बानी देकर नाना का दीन बचाया। उन्होंने जुल्म-ओ-सितम के खिलाफ इंसानियत के लिए जंग लड़ी थी।
मसजिल में मौलाना डॉ.शहवार हुसैन, मौलाना मंजर अब्बास, शानदार हुसैन, मोहम्मद आसिफ, हकीम गुलजार, दिलनवाज नकवी, अली हसनैन नकवी, शजर अब्बास मौजूद रहे।