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गुरुजी के जज्बे ने बौना साबित किया कोरोना संक्रमण

हसनपुर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो रास्ते की सारी बंदिश बौनी साबित हो जाती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 11:22 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 11:22 PM (IST)
गुरुजी के जज्बे ने बौना साबित किया कोरोना संक्रमण
गुरुजी के जज्बे ने बौना साबित किया कोरोना संक्रमण

हसनपुर : मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो रास्ते की सारी बंदिश बौनी साबित हो जाती हैं। गंगेश्वरी ब्लाक के इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल गुलामपुर के प्रधानाध्यापक रामवीर सिंह ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है।

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15 जून 1981 को मंडी धनौरा तहसील के गांव पीपली मेकचंद निवासी किसान राम कुंवर सिंह के घर जन्मे रामवीर सिंह ने एमएससी, बीटीसी की शिक्षा ग्रहण की और वर्ष 2009 में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक नियुक्त हुए। बचपन से ही उनके मन में शिक्षा के प्रति खास लगाव रहा। भाग्य से ईश्वर ने उन्हें शिक्षक ही बना दिया। वह नियमित रूप से अपने स्कूल में पढ़ाते थे लेकिन, विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते सरकार के प्रतिबंध घोषित करने पर शिक्षा के मंदिरों के कपाट बंद हो गए लेकिन, गुरुजी के मन के कपाट खुले रहे।

कुछ दिन घर में प्रतिबंध बिताने के बाद वह मास्क पहनकर गुलामपुर पहुंचना शुरू हो गए। पहले उन्होंने गांव में जगह-जगह जाकर लोगों को कोरोना से बचाव हेतु जागरूक किया फिर घर घर जाकर अपने स्कूल में नामांकित शिष्यों का हाल-चाल जानने की कोशिश की। अभिभावकों ने उन्हें बताया कि स्कूल बंद रहने से बच्चे बिल्कुल नहीं पढ़ रहे हैं और जो आपने पढ़ाया है उसे भी भूलने लगे हैं। इतना सुनकर उनके मन में ख्याल आया कि वह घर- घर जाकर ही बच्चों को प्रतिदिन होमवर्क देंगे। करीब दो महीने से वह घर घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। शिक्षक के इस जज्बे को गांव के अभिभावक सलाम करते हैं।

शिक्षक रामवीर सिंह का कहना है कि ईश्वर ने उन्हें शिक्षक बनाया हैं। वह जानते हैं कि प्राइमरी स्कूल में गरीब बच्चे पढ़ते हैं। वह खुद भी प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई कर शिक्षक बने हैं। गरीब लोगों के घरों में स्मार्टफोन न होने से ऑनलाइन शिक्षा बच्चों तक नहीं पहुंच रही है। सरकार भारी भरकम तनख्वाह दे रही है। इसलिए, बच्चों को बिना पढ़ाए उनके मन को संतुष्टि नहीं मिलती। आत्म संतुष्टि के लिए वह घर-घर जाकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। गुरु जी के आने का बच्चों को रहता है इंतजार

गुरु जी के घर घर जाकर शिक्षा ग्रहण कराने से बच्चों को उनके घर आने का इंतजार रहता है। गांव में पहुंचकर वह बारी-बारी से बच्चों के घर पहुंचकर तसल्ली पूर्वक होमवर्क देने के साथ ही पहले दिन दिए गए कार्य की जांच करते हैं तथा बच्चों से किताब में रीडिग भी कराते हैं। बच्चे घर पर गुरुजी को देखकर प्रसन्न होते हैं तथा देखते ही तुरंत पानी लेकर आते हैं। कुल मिलाकर रामवीर सिंह दूसरे शिक्षकों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।


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