भगवान केवल भक्तों के प्रेम-भाव के भूखे : प्रशांत
भगवान किसी वस्तु या पदार्थ की कामना नहीं करते और न ही किसी फल-फूल की। वह तो बस भावना के भूखे होते हैं।
जागरण संवाददाता,जोया : भगवान किसी वस्तु या पदार्थ की कामना नहीं करते और न ही किसी फल-फूल की अपेक्षा रखते हैं। वह केवल सच्चे प्रेम-भाव के भूखे हैं। यह विचार श्रीमद् भागवत कथा के दौरान बाल व्यास प्रशान्त अवस्थी ने श्रीकृष्ण-सुदामा का प्रसंग सुनाते हुए व्यक्त किए। गुरुवार को गांव कपासी में शिव मंदिर पर श्रीमछ्वागवत कथा के सातवें दिन बाल व्यास प्रशान्त अवस्थी ने श्रीकृष्ण-सुदामा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्त सुदामा को हृदय से लगाया और उनके चरणों को अपने आंसुओं से धुलाया। भगवान तो बस कोमल भाव और प्रेम चाहते हैं।निर्मल मन चाहते हैं। उनको तो भक्त का सच्चा प्रेम चाहिए। जिस भक्त का स्वभाव, हृदय निर्मल है और जो छल-कपट से दूर है, उन्हें ही भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भगवान को किसी के साधन, साध आदि की जरूरत नहीं है। उनकी कृपा को उनके जाप, कीर्तन से पाया जा सकता है। कथा वाचक ने कहा कि भगवान ने अपने भक्तों की भावनाओं का सदैव ख्याल रखा है। हर युग में अपने भक्तों की भावनाओं का प्रभु ने प्रतिफल दिया है। कथा को सुन श्रोता भाव विभोर हो गए। इस दौरान प्रधान भूदेव सिंह प्रजापति, हरगोबिद सिंह, छज्जू सिंह, रोहित, रामगोपाल सिंह, खेम सिंह, चन्द्रपाल सिंह, कल्लू, सतीश कुमार, जमुना देवी, गंगावती, गीता देवी, अतरकली, नन्ही देवी, स्वाति आदि उपस्थित रहे।