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पीएम के मन की बात से रेडियो फिर दिखने लगा हाथों में

एक दौर था रेडियो का, जब घर-घर से लेकर खेतों व प्रतिष्ठानों तक में नजर आता था। ठीक वर्तमान दौर के मोबाइल की तरह। बस फर्क इतना है कि मोबाइल हर घर के साथ परिवार के अधिकांश सदस्यों के हाथों में दिखाई देता है और रेडियो घरों, खेतों व प्रतिष्ठानों पर नजर आता था। दौर बदलने के साथ इसका भी जमाना चलाया गया। अब यह भी दिखाई नहीं पड़ता, विलुप्त सा हो गया है, लेकिन पुरानी चीजों को सहेज के रखने वाले आज भी रेडियो की कद्र करते हैं और इसे संभाल कर भी रखते हैं, ऐसे ही हैं राम ¨सह बौध, जिन्होंने एक-दो या तीन-चार नहीं बल्कि करीब सात सौ रेडियो का संग्राहलय बना रखा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 10:30 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 10:30 PM (IST)
पीएम के मन की बात से रेडियो फिर दिखने लगा हाथों में
पीएम के मन की बात से रेडियो फिर दिखने लगा हाथों में

गजरौला : एक दौर था रेडियो का, जब घर से लेकर खेतों व प्रतिष्ठानों तक में नजर आता था। वर्तमान दौर के मोबाइल की तरह। बस फर्क इतना है कि मोबाइल हर घर के साथ परिवार के अधिकांश सदस्यों के हाथों में दिखाई देता है और रेडियो घरों, खेतों व प्रतिष्ठानों पर नजर आता था। दौर बदलने के साथ इसका भी जमाना चला गया। पुरानी चीजों को सहेज के रखने वाले आज भी रेडियो की कद्र करते हैं और इसे संभाल कर रखते हैं, ऐसे ही हैं राम ¨सह बौद्ध, जिन्होंने एक-दो या तीन-चार नहीं बल्कि करीब सात सौ रेडियो का संग्रहालय बना रखा है।

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13 फरवरी विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह बात कम लोग ही जानते होंगे लेकिन रेडियो का महत्व व इसकी प्रासंगिकता समझने वाले आज भी इसके दीवाने हैं। इन्हीं दीवानों में से कुछ को पता है कि विलुप्त हो चुके रेडियो का खजाना गजरौला में भी है। नाईपुरा स्थित सिद्धार्थ इंटर कालेज के एक हाल में इस खजाने को राम ¨सह बौद्ध ने जुटा रखा है। इसकी भनक लगने पर मंडी धनौरा विधान सभा क्षेत्र के विधायक राजीव तरारा भी पहुंचे और यहां रेडियो के भंडारण को देख खुशी जाहिर की। चूंकि यहां 1920 से लेकर 2000 तक बने करीब सात सौ रेडियो अलग-अलग कंपनियों के तमाम मॉडल वाले दिखाई दे रहे थे। इन्हें संजीदगी से देखने के बाद विधायक बोले की पीएम के मन की बात कार्यक्रम के बाद से रेडियो फिर लोगों के हाथों में दिखाई देने लगा है। यह भी कहा कि रेडियो भले ही प्रचलन से बाहर हो, लेकिन इसका महत्व कभी खत्म नहीं होगा। युवाओं की धड़कन बना रहेगा। इसी कारण एफएम रेडियो के शौकीन लोग मोबाइल पर इसका आनंद उठाते हैं। ऐसे हुई विश्व रेडियो दिवस की शुरुआत

तीन नवंबर, 11 को छत्तीस साल पूरे होने पर यूनेस्को ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की। पहला रेडियो दिवस 13 फरवरी, 12 को मनाया गया। उसके बाद से यह दिवस मनाया जाने लगा। रेडियो संग्रह करने वाले राम ¨सह बौद्ध बताते हैं कि वर्ष 16 में अपने देश के ओडिशा में पहली बार इसे व्यापक स्तर पर मनाते हुए अनेक कार्यक्रम किए गए थे। भुवनेश्वर में अंतराष्ट्रीय स्तर रेडियो मेला भी आयोजित हुआ था। रेडियो के क्षेत्र में गजरौला का भी एक दिन होगा नाम

गजरौला : सरकारी विभाग से सेवानिवृत राम ¨सह बौद्ध अपने पास 1920 से लेकर वर्ष 2000 तक के करीब 700 से अधिक रेडियो का भंडारण होने का दावा करते हैं। यह रेडियो कोई भी कभी भी उनके नाईपुरा स्थित विद्यालय के हाल में पहुंच कर देख सकता है। वह यह भी कहते हैं कि वह जल्दी एक बड़ा आयोजन कर इनका प्रदर्शन करेंगे।


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