Move to Jagran APP

बांसुरी के छलकते रहे आंसू, पिता बंधाते रहे ढांढस

गजरौला पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अस्थियां विसर्जन के दौरान उनकी बेटी बांसुरी की आंखें बार-बार आसुओं से भर आ रही थीं। अस्थियां लेकर तीर्थ नगरी कहे जाने वाले ब्रजघाट पहुंचने से लेकर यहां से जाने तक उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनके साथ मौजूद पिता स्वराज कौशल को भी पत्नी श्रीमती सुषमा के हमेशा को जुदा से दुखी नजर आ रहे थे लेकिन वह अपना दुख छिपा पुत्री को ही ढांढस बंधाने में लगे रहे। कभी कांधा पकड़ संभालते रहे तो कभी हाथ पकड़कर दुलारते नजर आए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 11:43 PM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 06:19 AM (IST)
बांसुरी के छलकते रहे आंसू,  पिता बंधाते रहे ढांढस
बांसुरी के छलकते रहे आंसू, पिता बंधाते रहे ढांढस

राजेश राज, गजरौला : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अस्थियां विसर्जन के दौरान उनकी बेटी बांसुरी की आंखें बार-बार आंसुओं से भर आ रही थीं। अस्थियां लेकर तीर्थ नगरी कहे जाने वाले ब्रजघाट पहुंचने से लेकर यहां से जाने तक उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनके साथ मौजूद पिता स्वराज कौशल को भी पत्नी श्रीमती सुषमा के हमेशा को जुदा से दुखी नजर आ रहे थे, लेकिन वह अपना दु:ख छिपा पुत्री को ही ढांढस बंधाने में लगे रहे। कभी कांधा पकड़ संभालते रहे तो कभी हाथ पकड़कर दुलारते नजर आए।

loksabha election banner

यूं तो सुषमा स्वराज की अलग ही बेदाग छवि थी। इसी कारण उनके निधन के बाद पार्टी-संगठन के लोग ही नहीं, दूसरे दलों के लोग व आम कार्यकर्ता भी उनके निधन पर दु:ख महसूस कर रहे हैं। सोशल मीडिया भी उनके निधन पर शोक जताने वाली की संवेदनाओं से अटा है। गुरुवार को ब्रजघाट में उनकी अस्थियां विर्सजन को परिवार के लोग पहुंचे तो आमजन भी खुद को रोक नहीं सके। जिसने सुना, वह ही ब्रजघाट गंगा तट की तरफ दौड़ पड़ा। इसी कारण प्रमुख लोगों के अलावा अन्य लोगों की भी खासी भीड़ जुट गई थी। हालांकि पार्टी की ओर से किसी को मैसेज नहीं दिया गया था। इसी कारण अमरोहा पड़ोसी जनपद होने के बावजूद यहां के जनप्रतिनिधि व संगठन के प्रमुख पदाधिकारी तक नजर नहीं आए। यहां उमड़े लोग भी मायूस नजर आ रहे थे। इस दौरान मां की अस्थियां विसर्जन को पहुंची बेटी बांसुरी व पिता स्वराज कौशल पर टिक थीं। बांसुरी की आंखे बार-बार आसुओं से भर आ रही थीं। श्रद्धांजलि स्थल पर भी उनकी आंखें आंसुओं से भरी नजर आ रहीं थी। रास्ते में भी उनके आंसू नहीं थमे। नाव में बैठकर अस्थियां विर्सजन को जाते-समय भी बांसुरी की यह स्थिति देख उनके साथ चल रहे पिता ने उन्हें सहारा दिया। कभी कांधे पर हाथ रखकर हिम्मत बंधायी तो कभी हाथ पकड़कर समझाते नजर आए। हालांकि वह स्वयं भी पत्नी के निधन से बहुत सदमें में महसूस हो रहे थे लेकिन बेटी को संभालने के कारण वह अपनी पीड़ा मन के अंदर ही समेटे रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.