कर्बला के शहीदों की याद में पांच मुहर्रम का जुलूस बरामद
पैगंबरे इस्लाम के नवासे एवं बीबी फातिमा के लख्ते जिगर हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 शहीद साथियों की याद में पांच मुहर्रम का मातमी जुलूस पूरे गमगीन माहौल में मुहल्ला सद्दो स्थित अजाखाना रफाती से बरामद हुआ। बताते है कि आज के दिन सक्के जुलूस में मसक में पानी भरकर सड़कों पर छिड़काव करते थे। इस जुलूस की एक बात विशेष ओर भी है कि जुलूस में अजादाराने हुसैन खामोश चलते हैं और नोहाख्वानी नहीं करते। शाम को अजाखानों में मजलिस का दौरा जारी रहा।
जागरण संवाददाता, अमरोहा: पैगंबरे इस्लाम के नवासे एवं बीबी फातिमा के लख्ते जिगर हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 शहीद साथियों की याद में पांच मुहर्रम का मातमी जुलूस पूरे गमगीन माहौल में मुहल्ला सद्दो स्थित अजाखाना रफाती से बरामद हुआ। बताते है कि आज के दिन सक्के जुलूस में मसक में पानी भरकर सड़कों पर छिड़काव करते थे। इस जुलूस की एक बात विशेष ओर भी है कि जुलूस में अजादाराने हुसैन खामोश चलते हैं और नोहाख्वानी नहीं करते। शाम को अजाखानों में मजलिस का दौरा जारी रहा।
अंजुमन तहफ्फुजे अजादारी के तत्वाधान में गुरुवार सुबह करीब नौ बजे जुलूस अपने पूर्व रीति रिवाज के अनुसार निकाला गया। जुलूस में आगे ऊंट चल रहे थे। आराईश और इसके बाद हुसैनी बाजा बज रहा था। यह जंगी बाजा तीन प्रकार का होता है। मातम, तीन ताल और कलमा। इस बाजे को मिल्लत के जवान, बूढ़े, बच्चे स्वयं बजाते हैं। इसमें ढोल, झांज और ताशे होते हैं। बाजे की कमान ताशे वाले के हाथ में होती है। ताशे के द्वारा बाजे की धुन को बदला जाता है। तख्त जो इमाम हुसैन के जनाजे की शबीह है और घोड़ा इमाम हुसैन के घोड़े दुलदुल की शबीह है। यह जुलूस मुहल्ला काजी जादा, चाहगौरी, मजापोता, कोट, दानिशमंदान, बगला, शफातपोता, कटरा, गुजरी, मच्छरट्टा, मंडी चौब, दरबारे कलां, अहमद नगर, कटकुई, काली पगड़ी, लकड़ा, हक्कानी, सट्टी, जाफरी से पचदरा होता हुआ देर शाम वापस सद्दो के अजाखाना रफाती में आकर समाप्त हुआ। पांच मुहर्रम के जुलूस में नोहाख्वानी नहीं की जाती।
जुलूस में अंजुमन तहफ्फुजे अजादारी के सदर हसन शुजा नकवी, नायब अमरोहवी, जिया ऐजा•ा, डॉ. सईदुल हसन, युसूफ नकवी, शरफ अली खां, अमजद कमाल, काजिम अब्बास, आदिल जफर खां मौजूद रहे। जबकि जुलूस के संचालन की जिम्मेदारी को अंजुमने रजाकाराने हुसैनी के अध्यक्ष गुलाम सज्जाद, जनरल सेक्रेट्री खुर्शीद हैदर जैदी, मौलाना मुस्तफा वसीम, मौलाना अली मोहम्मद, अख्तर अब्बास अप्पू, डॉ. चंदन नकवी अंजाम दिया। शाम को नगर के सभी अजाखानों में मजलिस का दौर चला।