जल संरक्षण के लिए दलहनी व तिलहनी फसलों से जुड़ें किसान
अमरोहा खेतीबाड़ी के मामले में अमरोहा जनपद ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी के अधिकांश जिलों में परंपरागत खेती होती है।
अमरोहा: खेतीबाड़ी के मामले में अमरोहा जनपद ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी के अधिकांश जिलों में पंरपरागत खेती का चलन है। गेहूं, गन्ना व धान प्रमुख रूप से उगाया जाता है। जिसके लिए अधिक पानी की जरूरत होती है परंतु अब किसान जागरूक हो रहे हैं तथा दलहनी व तिलहनी फसलों के साथ ही सिचाई की तकनीक भी बदल रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को फसलों की सिचाई कम पानी से करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। साथ ही दलहनी व तिलहनी फसलों पर जोर दिया जा रहा है। ताकि जल संरक्षण की मुहिम को सफल बनाया जा सके।
तेजी के साथ गिरता जल स्तर वास्तव में चिता का विषय है। शासनादेश पर जिले में कृषि, ग्राम्य विकास व उद्यान विभाग के साथ ही सिचाई विभाग व जल निगम द्वारा योजनाएं संचालित की जा रही है। भूगर्भ जल संरक्षण विभाग द्वार भी जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं अगर बात खेतीबाड़ी की करें तो अमरोहा जनपद में किसान परंपरागत खेती अधिक करते हैं। कृषि विभाग के प्रयास से किसान अब इसका मोह छोड़ रहे हैं। जिले में किसान दलहन व तिलहनी फसलों की तरफ बढ़ रहे हैं। इस बारे में जिला कृषि अधिकारी राजीव सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा हसनपुर, गंगेश्वरी, अमरोहा व जोया ब्लाक के किसानों को दलहनी व तिलहनी फसलों की बुआई के लिए प्रेरित किया गया है। जल संरक्षण के बारे में बताया कि किसानों को फसलों की सिचाई करने के लिए स्प्रिंकलर व ड्रिप विधि के लिए जागरूक किया जा रहा है। साथ ही किसानों को चाहिए कि वह धान की बुआई के समय खेत का समतलीकरण जरुर कराएं। साथ ही मेंढ़बंदी कराकर बरसात के पानी को खेत में संचय करें। इसके लिए किसानों को जागरूक करने हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर गोष्ठियां भी आयोजित की गई हैं। परंतु इस बार माह फरवरी से कोरोना संक्रमण के चलते जिले में गोष्ठियों का आयोजन नहीं हो सका है।