आरटीआइ ने कम करा दिए यूरिया के दाम
अमरोहा : यूरिया के निर्धारित मूल्य पर अतिरिक्त कर लगाकर प्रदेश सरकार ने पिछले चार वर्षों में किसानों की जेब से अरबों रुपये निकाल लिए। अमरोहा के ही एक जागरूक किसान ने जब इस मसले पर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी तो हड़कंप मच गया। जानकारी देने से पहले ही सरकार ने अतिरिक्त कर हटाने का फरमान जारी कर दिया। इससे अब किसानों को खाद के प्रत्येक बैग पर 33 रुपये की बचत होगी।
अमरोहा : यूरिया के निर्धारित मूल्य पर अतिरिक्त कर लगाकर प्रदेश सरकार ने पिछले चार साल में किसानों की जेब से अरबों रुपये निकाल लिए। अमरोहा के एक जागरूक किसान ने जब इस मसले पर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी तो हड़कंप मच गया। जानकारी देने से पहले ही सरकार ने अतिरिक्त कर हटाने का फरमान जारी कर दिया। इससे अब किसानों को खाद के प्रत्येक बैग पर 33 रुपये की बचत होगी।
रजबपुर थानाक्षेत्र स्थित गांव नाजरपुर नाईपुरा निवासी किसान चौधरी शिवराज ¨सह ने नवंबर 2018 में केंद्रीय कृषि मंत्रालय से आरटीआइ के तहत किसानों को उपलब्ध कराई जा रही यूरिया खाद की कीमत समेत अन्य सूचनाएं मांगी थीं। इसके जवाब में मंत्रालय ने यूरिया के 45 किलो के एक बैग की एमआरपी 242 रुपये बताई। जबकि हकीकत में यूरिया का यह बैग अन्य प्रदेशों में किसानों को जहां 266 रुपये में दिया जा रहा है वहीं उत्तर प्रदेश में इसके 299 रुपये वसूल किए जा रहे थे।
इस पर शिवराज ¨सह ने चार जनवरी को रसायन और उर्वरक मंत्रालय को आरटीआइ के तहत दूसरा आवेदन भेजकर किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे महंगे यूरिया बैग के बारे में जानकारी मांगी। अभी शिवराज अपने आवेदन के जवाब का इंतजार कर ही रहे थे कि 11 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों से यूरिया पर वसूले जा रहे अतिरिक्त कर को समाप्त करने की घोषणा कर दी। इससे अब अन्य प्रदेशों की तरह उत्तर प्रदेश में भी 45 किग्रा यूरिया का बैग 266 रुपये का हो गया है।
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प्रतिवर्ष 103 लाख मीट्रिक टन की है खपत
उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष यूरिया की 103 लाख मीट्रिक टन खपत होती है। वर्ष 2014-15 में तत्कालीन सपा सरकार ने यूरिया के प्रति बैग पर अतिरिक्त कर के नाम पर 33 रुपये बढ़ा दिए थे। इस लिहाज से एक साल में अरबों रुपये किसानों की जेब से निकल गए। बाद में भाजपा सरकार बनी तब भी अतिरिक्त कर नहीं हटाया गया। चौधरी शिवराज ¨सह का दावा है कि अगर इस मामले में आरटीआइ न डाली जाती तो सरकार यूरिया पर किसानों से अनुचित वसूली करती रहती।