..हो ना जाये कहीं खामोश बुलाने वाला
नौगावां सादात: गुरुवार रात तीन शाबान को हजरत इमाम हुसैन की पैदाईश के मौके पर कस्बे में
नौगावां सादात: गुरुवार रात तीन शाबान को हजरत इमाम हुसैन की पैदाईश के मौके पर कस्बे में एक जश्ने-बा-उन्वान जश्ने यौमे हुसैन का 52वां दौर हाजी मोहम्मद बाकर मरहूम की बारगाह मैन बाजार में मुनाकिद हुआ।
मदरसा-ए-इस्मत जहां वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में जश्न का आयोजन अरकिने बज्मे हुसैनी ने किया। इसमें शमां रोशन नवाब आलम जैदी ने की। तिलावते कलामे पाक से हिलाल नौगांवी ने लोगों को मसरूर किया। महफिल में मेहनाने खुसूसी विसाल मेंहदी जनरल सेक्रेट्री दरगाहे आलिया नजफे हिन्द जोगीपुरा रहे और महफिल की सदारत मौलाना हसन अख्तर ने की। मसनद नशीन के फराईज मौलाना अजीजुल हसन व मौलाना पयम्बर अब्बास ने निभाए। जश्न में दूर दराज से मशहूर शायरों ने शिरकत की। नाते पाक खुर्शीद अंसारी ने पढ़ी। शाहिद कमाल अकबरपुरी ने कहा-बहीश्त कहते हो जिसको तुम ऐ मुसलमानों, वो कर्बला की इसी मम्लेकत का हिस्सा है। गुलरेज रामपुरी ने यूं कहा-कि वो कयामात थी के सिमतों का भी अंदाज ना था, ऐसे आलम में भी सजदा किबला रूख उसने किया। नजफ अतरौलवी ने ऐसे कहा-आ भी जाओ के बहुत देर हुई जाती है, हो ना जाये कहीं खामोश बुलाने वाला। महफिल में कलीम असगर, आसिफ बिजनौरी, शमीम इलाहाबादी, डा. नसीमुल जफर, शबाब जलालपुरी, खादिम शब्बीर, कमर अब्बास, सागर बनारसी, शोभी अली, अली अब्बास, राकिम नौगांवी ने भी अपने कलाम पेश किये। महफिल के समापन पर शजर अब्बास ने सभी का शुक्रिया अदा किया।